हरियाणा के अंबाला में स्थित शंभू बॉर्डर पर कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर किसानों ने भंगड़ा डाला। आंदोलन स्थल पर आसपास के गांव से सैकड़ों की संख्या में किसान जमा हो गए। फिर हाथों में किसान यूनियन के झंडे लेकर जश्न मनाया। पंजाबी गीतों पर खूब नाचे। एक-दूसरे को गले लगने के बाद मिठाइयां व लड्डू भी बांटे।
भारतीय किसान यूनियन के उपप्रधान गुलाब सिंह ने कहा कि यह जश्न सरकार द्वारा किसानों के प्रति एक कदम बढ़ाने के लिए है। गुरुपर्व के मौके पर इस शुभ घोषणा से समस्त किसान खुश है। लेकिन उनका शंभू बॉर्डर पर आंदोलन जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चे के कहने पर ही यह आंदोलन समाप्त किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुरुपर्व के पावन मौके पर कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करने से अंबाला के किसानों में जश्न का माहौल है। जगह-जगह किसान एक-दूसरे के गले मिलकर खुशी जाहिर कर रहे हैं, लेकिन किसान इसे पूरी नहीं, बल्कि अधूरी जीत का दर्जा दे रहे हैं।
संसद में कानून वापसी की प्रक्रिया पूरी होने पर ही जीत को अपनी पूरी जीत मानेंगे। अंबाला स्थित साहिबपुरा में भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रधान मलकीत सिंह सहित किसानों ने जश्न मनाया। सबसे पहले मलकीत सिंह ने गुरुद्वारे में जाकर अरदास करवाई। उसके बाद मिठाइयां भी बांटी।
मलकीत सिंह ने कहा कि यह लंबे समय से चलते आ रहे संघर्ष की जीत है। सरकार को झुकाने में एक साल लगा, लेकिन जीत की तरफ हम बढ़ चुके हैं। उन्होंने अभी इस जीत को अधूरी जीत बताया है। उनका कहना है कि जब तक संसद में कानून रद्द नहीं हो जाता है, यह जीत अधूरी ही रहेगी।
बता दें कि किसान आंदोलन में अंबाला के किसानों की भी अहम भूमिका रही है। कई बार आंदोलन के दौरान किसान व जिला प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बन चुकी है। यहां तक कि किसानों पर मामले तक दर्ज हो चुके हैं। इतना ही नहीं नारायणगढ़ में एक किसान की आंदोलन के दौरान ट्रैक्टर से गिरने पर मौत भी हो गई थी।
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