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शहर के बीच औद्योगिक क्षेत्र में 13 करोड़ खर्च से सड़कें बनकर तैयार हुईं। इनमें कई सड़कें पानी व कीचड़ से तर हैं, जिससे ये लगातार कमजोर हो रही हैं। यही हालात छह दिन पहले विधायक को यहां आने पर मिले थे, जिन्होंने सख्त लहजे में एचएसआईडीसी सहित जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों को सुधार के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके हालात जस के तस हैं। नई बनी कई सड़कों पर निकासी का प्रबंध शून्य हैं।
वहीं, रही कसर रेहड़ी वाले व वाहन चालक सड़कों पर पानी बहाकर पूरी कर रहे हैं। ऐसे में करोड़ों खर्च के बाद बनी सड़कें टूटती है तो कौन जिम्मेदार होगा? यही सवाल कई वर्षों से सड़कों के निर्माण की मांग करने वाले औद्योगिक इकाइयों के कारोबारी पूछ रहे हैं। बता दें कि यहां करीब 13 करोड़ से साढ़े आठ किलोमीटर लैंथ की सड़कें अप्रैल-2020 तक तैयार होनी थी। काम में देरी की एक वजह कोरोना के चलते लगा लॉकडाउन रहा।
वहीं, इससे पहले सड़कों के बीच आ रहे बिजली निगम के ट्रांसफार्मर व पोल शिफ्टिंग का मामला बिजली निगम व एचएसआईडीसी (हरियाणा स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) में उलझा रहा। शिफ्टिंग पर पैसा कौन खर्चे? इसे लेकर दोनों विभागों में कई माह तक कागजी माथापच्ची चलती रही।
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