हरियाणा सरकार के दावों के बाद भी भिवानी में सरसों की सरकारी ख़रीद शुरू नहीं हो पाई। अधिकारियों की मजबूरी और आढ़तियों की दलील के बीच किसान पीस रहा है। सरसों का MSP जहां 5450 रुपए क्विंटल है, वहीं मंडी में इस समय किसान से सरसों की खरीद 4200 रुपए तक हो रही है। किसानों का कहना है पहले राम न मारे, अब भाव नहीं मिल रहा। औने पौने दामों में सरसों नहीं बेची, तो लाला का ब्याज मार डालेगा।
कोई सरकारी खरीदार नहीं
बता दे कि सरसों की फसल इस बार पाले की चपेट में आने से लगभग ख़राब हो गई थी। इससे उत्पादन आधा हो गया। सरकार ने पहले 28 मार्च से सरसों की ख़रीद प्रति क्विंटल 5450 रुपए MSP पर करने की बात कही। फिर सरसों के भाव गिरे तो सरकार ने 15 मार्च से सरसों की सरकारी ख़रीद शुरू करने की बात कही। पर सरकार के ये दावे मंडियों में पहले ही दिन हवा हवाई हो गए। पहले दिन कोई अधिकारी सरसों की ख़रीद करने नहीं आया।
किसान बोले- कहां है दोगुनी आमदनी
मंडी में सरसों लेकर आए किसान सज्जन कुमार ने बताया कि सरसों की ख़राब मिट्टी हो रही है। उसकी सरसों 4200 रुपए क्विंटल बिकी है। कोई पूछने वाला नहीं। मोदी जी दो गुणा आय करने की कहते थे, पर यहां तो ऐसा कुछ नहीं है। किसान का कहना है कि पहले राम न (पाले की मार) मारे, अब भाव न और जो भाव मिल रहा है उसमें सरसों नहीं बेची तो फिर लालाओं (आढ़तियों) का ब्याज मार डालेगा।
आढ़ती चिराग़ ने बताया कि हमें कोई दिक्कत नहीं, दिक्कत सरकार को है। जिसने नमी व तेल की धार के नियम बनाए हैं। उन्होंने कहा कि जो नियम तय किए है, वो 70 फीसदी सरसों में भी पूरे नहीं होंगे।
ई-खरीद पोर्टल में दिक्कत
मार्केट कमेटी के सहायक सचिव प्रदीप कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि सरसों की सरकारी ख़रीद कल से ही शुरू होनी थी, पर ई ख़रीद पोर्टल तकनीकी कारणों से शुरू नहीं हो पाया। जिससे सरकारी ख़रीद भी शुरू नहीं हुई। उन्होंने कहा कि ई ख़रीद पोर्टल एक दो दिन में शुरू होते ही ख़रीद भी शुरू हो जाएगी।
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