पश्चिमी विक्षाेभ की बरसात ने पारे के तेवर ढीले कर दिए हैं। बीते दाे दिन हुई बरसात से ज्येष्ठ के महीने में भी मौसम में सावन जैसा अहसास रहा। दिनभर धूप तो चटक निकली, लेकिन इसके बावजूद हवाओं ने ठंडक का अहसास करवाया। पहले की अपेक्षा तापमान में भी गिरावट आई है। इससे बुधवार काे अधिकतम तापमान 35 डिग्री और न्यूनतम तापमान 18.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
ज्योतिर्विद पं. कृष्ण कुमार शर्मा नावां ने इस बार वृष्टि योग के चलते नौतपा भी अपना असर नहीं दिखा पाएगा अर्थात इस बार नौतपा ज्यादा नहीं तपेगा। उन्होंने बताया कि 25 मई दोपहर बाद 2:21 बजे रोहिणी नक्षत्र में सूर्य प्रवेश करने के साथ ही नौतपा का प्रारंभ हो गया।
उन्होंने बताया कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि रोहिणी नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश के दौरान नौतपा आरंभ होता है और इन 9 दिनों में सूर्य की किरणें सीधी धरती पर अपनी तपिश छोड़ती हैं, जिस कारण इन 9 दिनों में तेज गर्मी पड़ती है।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार एक तरफ नौतपा शुरू होगा वहीं दूसरी ओर गर्मी को ब्रेक भी लग जाएगा, क्योंकि 26 मई को एकादशी तिथि में रेवती का साथ होने से खंड वृष्टि के योग बन रहे हैं। शर्मा नावां ने बताया कि सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक है जबकि चंद्रमा शीतलता का।
रोहिणी नक्षत्र का मुख्य रूप से अधिपति चंद्रमा है और सूर्य जब चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो सूर्य इस नक्षत्र को अपने प्रभाव में ले लेता है। इससे रोहिणी नक्षत्र का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और इस कारण धरती पर आंधी, तूफान आने की संभावना बढ़ जाती है।
लगातार सक्रिय हो रहे पश्चिमी विक्षोभ
माैसम विशेषज्ञों के अनुसार पर्वतीय क्षेत्रों में एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहे हैं। इस कारण मैदानी राज्यों में मौसम परिवर्तनशील बना है। पश्चिमी विक्षोभ की वजह से पंजाब पर एक प्रेरित चक्रवाती वायुदाब बनने जा रहा है।
इसकी वजह से पवनों की दिशा दक्षिणी पूर्वी व दक्षिणी पश्चिमी हो जाएगी और एक टर्फ रेखा पंजाब से हरियाणा होती हुई बंगाल की खाड़ी तक बननी शुरू हो गई है। इस मौसमी प्रणाली को प्रचुर मात्रा में नमी बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से मिलेगी।
बारिश के बन रहे प्रबल योग
पंडित कृष्ण कुमार शर्मा नावां ने बताया कि ज्येष्ठ मास में सोमवती अमावस्या होने से अधिक वर्षा के संकेत हैं। उन्होंने बताया कि 30 मई को सोमवारी अमावस्या को कृतिका नक्षत्र सुभिक्षकारी तथा वृष्टिकारी कहा गया है।
अत: इस प्रकार के योग के चलते 72 घंटे की अवधि में उत्तर भारत के अनेक स्थानों में तेज वायु के साथ भारी वर्षा के प्रबल योग बन रहे हैं जबकि दक्षिण में मानसून तेजी से आगे बढ़ता हुआ अपने निर्धारित समय से पूर्व ही दस्तक देगा। अधिक गर्मी के आसार नहीं रहेंगे और बरसात के प्रबल योग बन रहे हैं।
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