​​​​​​​देरी से नुकसान:ई- टेंडरिंग के विरोध में व्यस्त सरपंचों ने नहीं दिए प्रस्ताव गांवों में विकास के 18 करोड़ रुपये नहीं हो पाए इस्तेमाल

फतेहाबाद2 महीने पहलेलेखक: विष्णु नाढोड़ी
  • कॉपी लिंक
बीड  पीओ  संदीप  भारद्वाज  के समक्ष  शिकायत  रखते  पंचायत  समिति  सदस्य। - Dainik Bhaskar
बीड पीओ संदीप भारद्वाज के समक्ष शिकायत रखते पंचायत समिति सदस्य।

जनवरी महीने में जिले में पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषद को जारी हुई स्टेट फाइनेंस कमीशन की 48.85 करोड़ ग्रांट में से 55.49 फीसदी ग्रांट सरपंचों, पार्षदों और अफसरों की लापरवाही के कारण लैप्स हो गई।

यहां बता दें कि पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषद को मिली कुल ग्रांट में से केवल 21.74 करोड़ रुपये ही सरपंच व पार्षद खर्च कर पाए हैं जबकि 27.11 करोड़ रुपये ग्रांट 31 मार्च को बैलेंस रहने के चलते लैप्स हो गई।

हैरत की बात है कि जिला परिषद की 5.12 करोड़ ग्रांट में से एक रुपया भी खर्च नहीं हो पाया है जबकि हाऊस की मीटिंग भी काफी पहले हो गई थी। इसी प्रकार केवल रतिया, भट्टू व जाखल पंचायत समिति को छोड़कर कोई भी पंचायत समिति अपनी स्टेट फाइनेंस कमीशन की पूरी ग्रांट खर्च नहीं कर पाई।

जिले में पंचायतों को 38.61 करोड़ में से 18.45 करोड़, बीडीसी के 7.69 करोड़ में से 3.54 करोड़ रुपये लैप्स हुए हैं। डीसी कार्यालय में आने वाली डिस्कश्नरी ग्रांट की 1.95 करोड़ ग्रांट भी लैप्स हो चुकी है।

जाखल में चेक पर हस्ताक्षर करने को लेकर हंगामा , राशि हड़पने के प्रयास का लगाया आरोप

जाखल में वित्तीय वर्ष के आखरी दिन शुक्रवार को ग्रांट के चेकों पर हस्ताक्षर करने पर हंगामा हो गया। कुछ पंचायत समिति सदस्यों ने आरोप लगाया कि बैठक में मौजूद ठेकेदार व सदस्य जबरन हस्ताक्षर करवा कर करीब 60 लाख रुपये जारी करवाना चाह रहे हैं।

मामले को लेकर जाखल बीडीसी पार्षद रतिया बीडीपीओ के पास पहुंचे व मामले से अवगत करवाया। पंचायत समिति सदस्य सुखतेंद्र सिधानी, रामचंद्र चांदपुरा, रामशरण रुपावाली, मीनू देवी सिधानी ने कहा कि शुक्रवार को जाखल पंचायत समिति की बैठक थी। पंचायत समिति में कुल 10 सदस्य है। बैठक में 50 लाख के टाइड व 10 लाख के अनटाइड कामों की राशि आई हुई थी। कुछ ठेकेदार इस राशि को फर्जी बिल व चेक काट कर हड़पना चाहते थे।

सरपंचों ने 717 कार्यों की दी स्वीकृति

जिले की 259 ग्राम पंचायतों को स्टेट फाइनेंस कमीशन की 38.61 करोड़ ग्रांट जारी हुई थी। जिले के सरपंचों ने 31 मार्च तक कुल 727 विकास कार्यों को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की है। इसके अलावा 127 ऐसे रेज्युलेशन पास किए गए हैं जिनके एस्टीमेट बनने अभी बाकी है। इन कार्यों पर 17.89 करोड़ ग्रांट खर्च होगी तथा बाकी की 18.45 करोड़ ग्रांट लैप्स हो गई।

समझिए... ग्रांट खर्च नहीं होने के कारण

पंचायतों में ग्रांट खर्च नहीं होने का मुख्य कारण ई-टेंडरिंग के विरोध में सरपंचों का आंदोलन रहा जिसके चलते अधिकतर गांवों के सरपंचों ने प्रस्ताव नहीं दिए। इसी प्रकार पंचायत समितियों व जिला परिषद में चेयरमैन-वाइस चेयरमैन बनने में देरी, तय समय में मीटिंग नहीं होने तथा पार्षदों द्वारा प्रस्ताव देने में देरी के कारण ग्रांट लैप्स हुई।

कई गांवों में काम पूरा होने से पहले बने वाउचर

31 मार्च को एसएफसी की ग्रांट लैप्स होनी थी। विभागीय सूत्रों के अनुसार स्टेट फाइनेंस कमीशन का फंड लैप्स ना हो इसके लिए कई गांवों में ऐसे विकास कार्यों की पेमेंट के वाउचर भी जारी किए गए हैं जो काम या तो अभी शुरू ही हुए हैं या अब तक शुरू भी नहीं हुए है, ऐसे में आशंका है कि इन कार्यों के फर्जी बिल अपलोड हुए हैं, ऐसा इसलिए किया गया है ताकि फंड लैप्स ना हो।

नहीं हो पाई बैठक: बीडीपीओ

जाखल पंचायत समिति की बैठक तय की गई थी लेकिन पार्षदों के आपसी विवाद के चलते बैठक आयोजित नहीं हो पाई, जो ग्रांट बैलेंस रह गई है वह लैप्स हो गई है।

'' - संदीप भारद्वाज, बीडीपीओ।