एक तरफ सरकार जहां सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों का मुकाबला करने योग्य बनाने के लिए स्कूलों को मॉडल संस्कृति का दर्जा दे रही है, वहीं दूसरी तरफ जिले के प्राइमरी स्कूलों में पिछले दो साल से विद्यार्थियों की किताबें ही नहीं आ रही हैं। जिसके चलते बच्चों को पुरानी किताबों व उनकी फोटो कॉपी के सहारे पढ़ाई करनी पड़ रही है।
इसी को लेकर मंगलवार को जिले के गांव भूथनकलां, तामसपुरा, भिरडाना और रतिया के स्कूलों के एसएमसी मेंबरों व ग्रामीणों ने डीसी को मांग पत्र सौंपा और कहा कि यदि सरकार ने जल्द स्कूलों में पुस्तकें नहीं भेजी और शिक्षकों की कमी तुरंत पूरी नहीं की तो वे डीसी कार्यालय कूच कर आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों की मांग पर डीसी ने 15 दिन में स्कूलों में पुस्तकें भिजवाने का आश्वासन दिया लेकिन शिक्षकों की कमी के सवाल पर डीसी ने ग्रामीणों को कोई जवाब नहीं दिया और चुप्पी साध ली।
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