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वाहनों के पंजीकरण में गड़बड़ी के जिस मामले में सीएम फ्लाइंग ने फतेहाबाद के तीन पूर्व एसडीएम सहित 8 लोगों पर केस दर्ज किया है, इस मामले की पड़ताल में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
असल में पंजीकरण अथॉरिटी एसडीएम की नाक के नीचे तथा उनके हस्ताक्षर का प्रयोग कर खेले जा रहे इस पूरे खेल का खुद एसडीएम को भी पता नहीं लगता कि कब निचले कर्मचारियों ने किसी वाहन के पंजीकरण में किस प्रकार की गड़बड़ी की है, क्योंकि वाहनों की आरसी जारी करते समय उस पर एसडीएम के डिजिटल साइन होते हैं। जबकि हार्ड फाइल पर एसडीएम के हस्ताक्षर सप्ताह में एक दिन होते हैं।
ऐसे में 400 से अधिक फाइलों की जांच करना अधिकारी के लिए मुश्किल होता है, जबकि डिजिटल साइन से वाहन पंजीकरण में गड़बड़ी के बावजूद आरसी जारी हो जाती है। दलाल व टाइपिस्ट गड़बड़ी का पूरा खेल मोटर रजिस्ट्रेशन क्लर्क, कंप्यूटर ऑपरेटर व डिजिटल साइन अथॉरिटी जूनियर प्रोग्राम या सुपरिंटेंडेंट के माध्यम से करते हैं।
शुरू से अंत तक ऐसे चलती है वाहन पंजीकरण की फाइल
यहां बता दें कि वाहन के पंजीकरण की फाइल टाइपिस्ट या दलाल के माध्यम से तैयार होकर आती है जिसमें गाड़ी व मालिक के सभी दस्तावेज लगे होते हैं। यह फाइल एसडीएम कार्यालय के 24 नंबर कमरे में बैठने वाले मोटर रजिस्ट्रेशन क्लर्क के पास जमा होती है।
एमआरसी फाइल के दस्तावेजों की जांच कर उन्हें अपलोड करने के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर के पास भेजता है, जहां ऑपरेटर फाइल को कंप्यूटर में अपलोड करता है। इसके बाद अनुमति के लिए एसडीएम के डिजिटल साइन होते हैं जिसकी पावर जूनियर प्रोग्राम या सुपरिंटेंडेंट को होती है।
एक्ट में अथॉरिटी को हर प्रकार की पावर
यहां बता दें कि मोटर व्हीकल एक्ट में संबंधित अथॉरिटी को वाहन पंजीकरण को लेकर हर प्रकार की छूट है। यदि अथॉरिटी चाहे तो बिना रेंट एग्रीमेंट केवल शपथ पत्र के आधार पर वाहन का पंजीकरण कर सकती है। इतना ही नहीं एक्ट में यह भी कहा गया है कि यदि संबंधित अथॉरिटी को पंजीकरण के कितने भी समय बाद कहीं उसमें कोई गलती या गड़बड़ी लगती है तो अथॉरिटी उस नंबर को ब्लॉक कर सकती है।
सीएम फ्लाइंग ने 4 दिन खंगाले थे दस्तावेज
केस दर्ज किए गए इस मामले की जांच के दौरान सीएम फ्लाइंग टीम के सदस्य 10 दिनों तक कार्यालय के बाहर से विभिन्न माध्यमों से तथा 4 दिनों तक एसडीएम कार्यालय में जांच करते रहे। लगातार 4 दिनों तक रजिस्ट्रेशन की फाइलें खंगालने के बाद सीएम फ्लाइंग ने तीन मामलों के आधार पर केस दर्ज करवाया था।
पांच साल का रिकॉर्ड, जांच तक नहीं कर सकेंगे डिस्ट्रॉय
वाहन पंजीकरण के रिकॉर्ड को हर 3 साल बाद डिस्ट्रॉय करने का नियम है। लेकिन जिले में पिछले 2 सालों से वाहन पंजीकरण में किसी ना किसी प्रकार की जांच चलने के चलते ये रिकॉर्ड डिस्ट्रॉय नहीं किया जा सका है, क्योंकि डीसी ने इसकी अनुमति नहीं दी।
खास बात है कि एसडीएम सरजीत नैन व संजय ने उस समय के डीसी से रिकॉर्ड को डिस्ट्रॉय करने के लिए अनुमति भी मांगी थी लेकिन डीसी ने नहीं दी। इस समय जिले में वाहनों के पंजीकरण का 5 साल का रिकॉर्ड मौजूद है।
अब रेंट एग्रीमेंट की जांच के बाद होगा पंजीकरण
सीएम फ्लाइंग द्वारा बीते दिन 8 अधिकारियों व कर्मचारियों पर केस दर्ज करवाने के बाद सतर्क एसडीएम कार्यालय ने रेंट एग्रीमेंट के पंजीकरण को विशेष जांच के बाद पंजीकरण करने का निर्णय लिया है। सूत्रों के अनुसार एसडीएम ने संबंधित अधिकारियों को रेंट एग्रीमेंट वाले मामलों की विशेष जांच कर ही पंजीकरण करने के आदेश दिए हैं।
सीएम फ्लाइंग ने की है गलत कार्रवाई: जांगू
मोटर व्हीकल एक्ट में अथॉरिटी को वाहनों के पंजीकरण की पूरी पावर है, सरकार के नियमों के अनुसार डिजिटल साइन चलते हैं जिसकी पावर जूनियर प्रोग्रामर के पास होती है, ऐसे में एसडीएम के लिए इतनी फाइलों को पढ़ना और उनमें कमियां निकालना मुश्किल है। सीएम फ्लाइंग के सदस्यों को मोटर व्हीकल एक्ट की जानकारी नहीं है, उन्होंने सिर्फ शिकायत के आधार पर केस दर्ज करवा दिया है, जो गलत है।'' -सतबीर जांगू, पूर्व एसडीएम फतेहाबाद।
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