शिक्षा विभाग ने 16 जुलाई से स्कूल खोलने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। विभाग के आदेशों के बाद स्कूलों में क्लास रूम की सफाई व सेनेजाइजेशन करने का काम शुरू हो गया। अभी कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थी ही स्कूल में आएंगे। स्कूल में आने से पहले उन्हें अपने पेरेंट्स से सहमति पत्र लेकर आना होगा। बिना सहमति पत्र के बच्चों को स्कूल में नहीं आने दिया जाएगा। फिलहाल 50 प्रतिशत बच्चों को बुलाया जाएगा।
सरकार द्वारा जारी एसओपी का इसमें विशेष रूप से पालन किया जाएगा। स्कूलों में टीचर व स्टाफ पिछले महीने से आ रहा है। अब 16 जुलाई से बच्चों को बुलाया जा रहा है। इसके लिए अध्यापकाें काे अभिभावकों सहमति पत्र भेज रहे हैं। बच्चे को सहमति पत्र की एक कॉपी देनी होगी। विभाग की ओर से पिछले साल कोरोना महामारी के प्रति जागरूक के लिए बनाई गई वीडियो को ग्रुपों में भेजा जा रहा है। जिससे अभिभावक व विद्यार्थी कोरोना के प्रति जागरूक हो सकें।
स्कूलों संचालक बोले- आज बनाएंगे मॉनिटरिंग कमेटी
शुक्रवार से स्कूल खुलने जा रहे हैं। स्कूलों में अभी तक मॉनिटरिंग कमेटी ही नहीं बनाई गई। यह कमेटी इसलिए बनाई जानी है ताकि किसी बच्चे को कोरोना के लक्षण हो तो तुरंत ही उसके संपर्क में आने वालों का पता लग सके। स्कूलों में माॅनिटरिंग कमेटी का गठन नहीं हुआ। कारण पूछने पर स्कूल संचालकों का कहना है कि गुरुवार को इसे बनाएंगे। जबकि स्कूलों में स्टाफ बीते एक महीने से आ रहा है। मुख्य गेट पर जांच कैसे होगी, यह भी तय नहीं हुआ है।
नियम ये भी... एक साथ स्कूल में बच्चों को इकट्ठा नहीं होने दिया जाएगा
स्कूल इन बातों का रखेंगे विशेष ध्यान स्कूल परिसर में एक साथ बच्चों को इकट्ठा नहीं होने देंगे। यदि विद्यार्थी मास्क नहीं लगाकर आया तो उसे मास्क उपलब्ध कराएंगे। रिसेस नहीं होगी, अभिभावक-टीचर मीटिंग नहीं होगी, खेल प्रतियोगिताएं नहीं होंगी। स्कूलों में प्रवेश करने से पहले थर्मल स्कैनर से बच्चों को गुजरना होगा। उसके बाद सैनिटाइज किया जाएगा। कंप्यूटर लैब व प्रैक्टिकल लैब में 50 प्रतिशत बच्चों को बैठाया जाएगा। हल्की खांसी या बुखार होने पर बच्चे को उसके घर पर भेजा जाएगा।
ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चाें काे स्कूल भेजने काे तैयार
ज्यादातर अभिभावकों का कहना है कि वह बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं। पूरी सावधानी व नियमों के साथ बच्चों को स्कूल भेजेंगे। इसके पीछे का कारण अभिभावकों ने बताया कि घर पर रहने से बच्चे अच्छे से पढ़ नहीं पा रहे। पढ़ाई खराब हो रही है। कई अभिभावकों का कहना है कि बच्चे घर पर रहकर बिगड़ रहे हैं। खेलने के लिए बच्चे जाते हैं तो स्कूल भेजने में क्या समस्या है।
सुभाष नगर निवासी समीर अरोड़ा ने बताया कि उनका छोटा भाई 12वीं कक्षा में है। स्कूल खुल रहे हैं तो भाई को स्कूल जाने की तैयारी के लिए कह दिया है। पढ़ाई खराब न हो इसलिए उसे स्कूल भेजेंगे। सुनील तागरा ने बताया कि उनकी बेटी आठवीं कक्षा में है। अगर उनके स्कूल खुले तो वह जरूर भेजेंगे। पवन नागपाल ने कहा कि बच्चे वैसे भी खेलने के लिए जाते हैं। स्कूल भेजेंगे, लेकिन सावधानी के साथ। बच्चों के भविष्य का सवाल है।
टीचर्स की समस्या ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों मोड में पढ़ाना होगा
जो बच्चे स्कूल नहीं आएंगे, उनके लिए ऑनलाइन क्लासिस की सुविधा रहेगी। ऐसे में सबसे ज्यादा समस्या टीचर्स को होने वाली है। पहले स्कूल में आए बच्चों को पढ़ाना होगा और फिर ऑनलाइन मोड पर भी। टीचर्स का मानना है कि वैसे तो ऑफलाइन मोड सबसे अच्छा है और बेहतर है। कोरोना काल में ही ऑनलाइन पढ़ाई का चलन हुआ है। लेकिन दिन में दोनों मोड में एक साथ पढ़ाना मुश्किल होगा। ऐसे में कोरोना काल तक टीचर्स सिर्फ एक ही माध्यम से पढ़ाना चाहते हैं। अधिकांश ऑफलाइन के पक्ष में ही हैं।
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