जीत प्राेजेक्ट के तहत विभागीय अधिकारियाें ने जिले में पांच साल से अधिक उम्र के लाेगाें के इगरा टेस्ट कराए। सात माह में 2600 टेस्ट में से 1200 टीबी इगरा पाॅजिटिव मिले। इनका इलाज शुरू कर दिया है। जिले को टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 2025 का लक्ष्य रखा है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत (ज्वाइंट इफर्ट फॉर इलीमिनेशन ऑफ टीबी) जीत अभियान 10 अक्टूबर काे शुरू किया था। जिसमें सुप्त टीबी यानी छिपा टीबी की पहचान की जाती है। जिसमें जिले के हरेक टीबी मरीज के परिजनों की जांच की जाएगी। 14 टीमें रोज जिले के विभिन्न स्थानाें पर सैंपलिंग कर रही हैं।
शहरी क्षेत्र में अभी तक 300 से अधिक पाॅजिटिव मिले
जितेंद्र गाैतम ने बताया कि प्रयास है कि राेज 25 से अधिक लाेगाें की सैंपलिंग कराई जाए। 1200 पाॅजिटिव में से करीब 500 से अधिक हांसी, उकलाना और नारनाैंद, आदमपुर, अग्राेहा के हैं। शहरी क्षेत्र में पाॅजिटिव की संख्या थाेड़ी कम है। शहरी क्षेत्र में अभी 300 से अधिक पाॅजिटिव मिले हैं। लाेगाें काे जांच कराने काे खुद आगे आना चाहिए। घबराने की बात नहीं है पाॅजिटिव आने वाले का फ्री उपचार किया जा सकता है।
पहले चरण में टीबी से ग्रस्त मरीजों के परिवार पर फाेकस
हिसार में टीबी के 3600 मरीज हैं। जीत योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग प्रथम चरण में टीबी से ग्रस्त लाेगाें के परिजनाें का टेस्ट करा रहा है ताकि उन्हें बचाया जा सक। पांच साल से अधिक आयु के सदस्याें के सैंपल लिए जा रहे हैं।
टेस्ट फीस निजी अस्पताल में ~2500, सरकारी में फ्री
इगरा टेस्ट निजी अस्पताल में कराने पर 2500 रुपए शुल्क देना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर इस योजना के तहत यह जांच नि:शुल्क कराई जा रही है। विभाग घर से ही मरीजाें के सैंपल कलेक्ट कर रहा है।
ऐसे होगा उपचार...
जिले में टीबी मरीजों के परिवार में शामिल 5 साल आयु से कम के बच्चों को 6 महीने तक आईएनएच की गोली दी जाएगी। इससे अधिक आयु के सदस्यों का इगरा टेस्ट किया जाएगा। इसमें पॉजिटिव मिलने पर छाती के एक्स-रे किए जाते हैं। अगर एक्सरे में सामान्य पाया जाता है तो भी मरीज को 6 महीने तक आईएनएच की गोली खिलाई जाएगी।
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