स्याहड़वा गांव में बुधवार को चौथे दिन यानि करीब 80 घंटे बाद सेना और एनडीआरएफ की टीम खेत मालिक जयपाल का शव कुएं से निकालने में सफल हुई। गीली मिट्टी और गर्मी के कारण शव सड़ी गली अवस्था में था। रेस्क्यू टीम ने शव निकालते ही एम्बुलेंस से सिविल अस्पताल पहुंचाया। यहां डॉक्टर ने जयपाल को मृत घोषित कर पोस्टमार्टम के लिए अग्रोहा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। इससे पहले सोमवार अलसुबह साढ़े 4 बजे मजदूर जगदीश का शव कुएं से निकाला गया था। दो मौतों से गांव में मातम का माहौल है।
बता दें कि रविवार सुबह माेटर रखने के लिए कुएं में उतरे जयपाल और जगदीश मिट्टी धंसने से दब गए थे। सेना और एनडीआरएफ की टीमें बचाव के लिए जुटी थी। कुएं में बालू मिट्टी में रेस्क्यू काफी रिस्की था। कई बार कुएं में उतरे जवानों पर मिट्टी गिरी, जिसमें बाल-बाल बचे। ऐसे में जयपाल का शव निकालने में ज्यादा टाइम लगा। 2.30 बजे शव निकालने की डेडलाइन के साथ जवान सीधा कुएं के उस आखिरी छोर पर पहुंच गए जहां जयपाल फंसा हुआ था। उसके शव को रोपअप लिफ्टिंग से बाहर लाया गया। फिलहाल ऑपरेशन खत्म होने के बाद जिला प्रशासन ने मशीनों से खुदाई वाली जगह की वापस भराई शुरू कर दी।
हाई रिस्क के बावजूद रेस्क्यू टीम ने नहीं हारी हिम्मत, हौसला बढ़ाने और हाथ बंटाने को दिन-रात डटे रहे ग्रामीण
एनडीआरएफ की टीम के लिए बालू मिट्टी में रेस्क्यू ऑपरेशन का पहला अनुभव रहा। इसलिए शवों को निकालने में काफी रिस्क भी लिया। रविवार को हादसा हुआ था और सेना की टीम दोपहर को पहुंची थी, जबकि एनडीआरएफ की टीम शाम को। तभी से रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान संभाल टीमें शवों को निकालने में जुटी रही। बार-बार खिसकती मिट्टी ने काम में बाधा डाली लेकिन हिम्मत नहीं हारी। हालांकि मौके की स्थिति देख स्ट्रेटजी जरूर बदलनी पड़ी। इनका हौसला बढ़ाने और काम में हाथ बंटाने के लिए ग्रामीण और प्रशासन निक अमला भी दिन-रात डटा रहा।
5 लाख से अधिक का आया खर्च : जानकारी के अनुसार 80 घंटे तक मशीनें चलती रहीं। एक पोकलेन मशीन 1 घंटे में जहां करीब 15 लीटर डीजल, जेसीबी 1 घंटे में लगभग 10 लीटर डीजल और ट्रैक्टर 5 से 7 लीटर डीजल की खपत होती है। ऐसे में 4 दिन में 3 से 5 लाख के लगभग डीजल की खपत का अनुमान है।
मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख देने के निर्देश
डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर शोक व्यक्त करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों को दोनों मृतकों के परिजनों को मुख्यमंत्री किसान एवं खेतीहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना के तहत 5-5 लाख रुपए की राशि जल्द दिए जाने के निर्देश दिए हैं। इस घटना में विषम परिस्थितियों के बावजूद सेना व एनडीआरएफ के जवान, प्रशासनिक अधिकारियों तथा गांवों के लोगों ने दिन-रात एक करके व अपनी जान को जोखिम में डालकर अभियान चलाया। हालांकि भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष दिलबाग सिंह हुड्डा ने मृतकों के परिजनों के 50-50 लाख मुआवजा और 1-1 सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की हुई है।
जानिए... ये दिन-रात डटे रहे
रेस्क्यू ऑपेरशन में टीम का सहयोग करने और खाने-पीने की व्यवस्था के लिए दिलबाग सिंह हुड्डा, बलजीत नम्बरदार, अश्विनी कुमार सरपंच, जसवीर सिंह, प्रमोद, सतीश कुमार मुन्दलिया, सुरेश नम्बरदार, जयभगवान, जोरावर, राजकुमार हुड्डा, भीम, महेन्द्र, रणबीर जांगड़ा, प्रवीण कुमार, जगत, रणसिंह, राकेश, राजेश, सतला, विनोद कुमार, अमित, नितेश सहित मृतकों के परिजन, युवा एवं ग्रामवासी डटे रहे।
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