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सरसाें की फसल में चेपा कीट का प्रकाेप दिखाई देने लगा है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को इस बदलते मौसम में सरसों की फसल में आने वाले कीटों से सुरक्षा के लिए सुझाव दिए हैं। एचएयू के कृषि कॉलेज में तिलहन अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. रामअवतार व उनकी टीम ने एचएयू के अनुसंधान क्षेत्र का दौरा कर फसल का जायजा लिया और बताया कि इस समय सरसों की फसल में चेपा कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है।
डॉ. रामअवतार के अनुसार इस समय सरसों की जिस फसल में फूल हैं, उसमें चेपा कीट का आक्रमण देखने को मिला है। इसलिए किसान समय रहते इनकी पहचान कर रोकथाम कर सकते हैं और सरसों की फसल की अच्छी पैदावार ले सकते हैं।
इसलिए किसान कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सिफारिश किए जाने वाले कीट नाशकों का प्रयोग कर इनका समय रहते उचित प्रबंध कर सकते हैं। उन्होंने किसानों को कीटनाशकों का प्रयोग सायंकाल तीन बजे के बाद करने की सलाह दी है ताकि मधुमक्खियों को नुकसान न हो जो परागण द्वारा उपज बढ़ाने में मदद करती हैं।
इस तरह करें चेपा कीट की पहचान और रोकथाम
तिलहन अनुभाग के कीट विशेषज्ञ डॉ. दलीप कुमार के अनुसार हल्के हरे-पीले रंग का यह कीट छोटे-छोटे समूहों में रहकर पौधे के विभिन्न भागों विशेषत: कलियों, फूलों, फलियों व टहनियों पर रहकर रस चूसता है।
इसकी रोकथाम के लिए खेत में जब 10 प्रतिशत पुष्पित पौधों पर 9 से 19 या औसतन 13 कीट प्रति पौधा होने पर 250 से 400 मिली लीटर डाइमेथोएट(रोगोर) 30 ई.सी. को 250 से 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव करें। साग के लिए उगाई गई फसल पर 250 से 400 मिली लीटर मैलाथियान 50 ई.सी. को 250 से 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। यदि आवश्यकता हो तो दूसरा छिड़काव 7 से 10 दिन के बाद करें।
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