हरियाणा के फतेहाबाद में रविवार को चौधरी देवीलाल की 109वीं जयंती पर सम्मान दिवस रैली का आयोजन किया गया। इस रैली में भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने का काम ओपी चौटाला ने किया। इसी मंच पर एसवाईएल नहर पर एक बार फिर से राजनीतिक रोटियां सेकनी शुरू हो गई।
ओपी चौटाला ने मंच से सत्ता में आने पर कई घोषणाएं पूरी करने का वादा किया। इस वादे में हरियाणा और पंजाब के बीच विवादास्पद एसवाईएल मुद्दे का भी ओपी चौटाला ने जिक्र किया। चौटाला ने सरकार बनने के एक साल के भीतर एसवाईएल का पानी हरियाणा में लाने का वादा किया।
जब मंच से ओपी चौटाला ये घोषणा कर रहे थे तो उसी मंच पर शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल अपने पार्टी के पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा और बलविंदर सिंह भूंदड के साथ गुफ्तगू कर रहे थे। हालांकि उनका ध्यान ओपी चौटाला के भाषण की ओर ही ध्यान था। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल एसवाईएल का निर्माण न होने की बात कर रहा है और इसी के नेतृत्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब में एसवाईएल के लिए अधिग्रहित 5376 एकड़ जमीन किसानों को लौटा दी थी।
पंजाब में अकाली दल और हरियाणा में इनेलो की रह चुकी एक साथ सरकार
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला के बीच राजनीतिक के साथ साथ पारिवारिक रिश्ते हैं। एक समय ऐसा भी था जब दोनों राज्यों में दोनों दलों की सरकारें थी, लेकिन फिर भी यह मामला सुलझाया नहीं गया।
पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की सरकार 1997 से लेकर 2002 तक रही। इसके बाद 2007 से 2012 और 2012 से लेकर 2017 तक सरकार रही। हरियाणा में इनेलो की सरकार 1999 से लेकर 2004 तक रही। इसके बाद हरियाणा में इनेलो और शिरोमणि अकाली दल संयुक्त रुप से चुनाव लड़ते आए।
वर्ष 2009 में प्रदेश में इनेलो और अकाली दल को 32 सीटें आई। इसमें से 31 इनेलो की थी और एक अकाली दल। इस दौरान प्रदेश में एसवाईएल का मुद्दा गर्माया तो इनेलो ने अकाली दल के साथ अपने राजनीतिक रिश्ते खत्म कर दिए थे। तब पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की सरकार थी। इसके बाद 2019 में इनेलो और शिअद ने संयुक्त रुप से चुनाव लड़ा, लेकिन इनेलो एक ही सीट पर सिमट गई।
हरियाणा और पंजाब के बीच प्रमुख मुद्दा
पंजाब से हरियाणा के अलग राज्य बनने के बाद सतलुज और उसकी सहायक ब्यास नदी से हरियाणा को पानी देने के लिए एक एसवाईएल नहर की योजना बनाई थी। यह नहर न बनने के कारण रावी, सतलुज और ब्यास का अधिशेष, बिना चैनल वाला पानी पाकिस्तान में चला जाता है।
हरियाणा को भारत सरकार के 24 मार्च, 1976 के आदेशानुसार रावी-ब्यास के सरप्लस पानी में भी 3.50 मिलियन एकड़ फीट हिस्सा आबंटित किया गया है। साल 1982 में केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी। इसी वर्ष पटियाला के कपूरी में एसवाईएल का उद्घाटन किया गया। 1985 में राजीव लोंगेवाल समझौता हुआ, लेकिन जब नहर का निर्माण किया गया तो इंजीनियर्स का कत्ल कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट लगा चुका पंजाब सरकार को फटकार
एसवाईएल मुद्दे को हल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए हरियाणा की ओर से अर्ध-सरकारी पत्र 6 मई 2022 के माध्यम से केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की दूसरे दौर की बैठक जल्द से जल्द बुलाने का अनुरोध किया है। इससे पहले इस बैठक के लिए उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री को भी 3 अर्ध-सरकारी पत्र लिखे, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। अब सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2022 में पंजाब सरकार को फटकार लगाई है और एक महीने में मीटिंग करके रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
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