हरियाणा में हिसार के स्याहड़वा गांव में तीन दिन पहले कुएं में मिट्टी धंसने से दबे किसान जयपाल हुड्डा की बॉडी तक सेना और NDRF के जवान पहुंच गए हैं। कुएं के चारों तरफ से मिट्टी हटाने के बाद जयपाल हुड्डा की बॉडी नजर आने लगी है और सेना के जवान उससे डेढ़ फीट दूर हैं। बचाव टीम को जयपाल का शरीर पहली बार नजर आया। मौके पर पूरी सावधानी के साथ आसपास की मिट्टी हटाने का काम चल रहा है ताकि बॉडी को सुरक्षित निकाला जा सके।
बताया गया है कि किसान जयपाल की बॉडी ठीक उसी बरगे के नीचे फंसी है, जिसे मोटर रखने के लिए लगाने वो नीचे उतरा था। नीचे सब कुछ सेफ माना जा रहा है, लेकिन उपर से मिट्टी गिरने का खतरा अभी भी बना हुआ है। सूचना मिल रही है कि अब कोई नई बाधा उत्पन्न नहीं हुई तो आधे-पौने घंटे में जयपाल को बाहर निकल लिया जाएगा। सेना और NDRF की टीमें इस कार्य में लगी हैं।
इससे पहले मंगलवार शाम साढ़े 5 बजे सेना और NDRF के जवानों ने कुएं के चारों तरफ से मिट्टी हटाने का काम पूरा कर लिया। इसके बाद कुएं के अंदर से मिट्टी निकालने का अभियान शुरू किया गया। बचाव दल ने पहले वो मिट्टी हटाई जो सोमवार शाम को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान गिर गई थी। तब एक जवान भी उसकी चपेट में आते-आते बचा था।
गौरतलब है कि हिसार के स्याहड़वा गांव में किसान जयपाल हुड्डा और मजदूर जगदीश उर्फ फौजी रविवार सुबह 7 बजे खेतों में बने गहरे कुएं में किसी काम से उतरे। दोनों की मदद के लिए दो-तीन व्यक्ति कुएं के ऊपर मौजूद थे। जयपाल और जगदीश 40 फीट नीचे कुएं में काम कर रहे थे कि अचानक कुंआ बैठ गया। मिट्टी की बड़ी थेह गिरने से जयपाल और जगदीश उसमें दब गए। लोगों के शोर मचाने पर बचाव कार्य शुरू किया गया। इस काम में मदद के लिए NDRF और सेना को बुलाया गया। मंगलवार शाम 8 बजे तक, जयपाल हुड्डा को मिट्टी में दबे लगभग 61 घंटे हो गए। NDRF और सेना की टीम ने कुएं में दबे मजदूर जगदीश को 21 घंटे में ही निकाल लिया था मगर विभिन्न दिक्कतों के चलते तमाम प्रयासों के बावजूद बचाव टीम जयपाल तक नहीं पहुंच पाई। मंगलवार शाम को पहली बार जयपाल हुड्डा का शरीर नजर आया।
तीन दिन से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कुएं के चारों ओर 50 फीट से ज्यादा गहराई तक मिट्टी हटाई गई। ऐसा इसलिए ताकि कुएं के अंदर से मिट्टी हटाने के दौरान दोबारा बाहर से मिट्टी धंसने का कोई खतरा न रहे। इससे पहले बचाव अभियान में लगे जवानों को पता नहीं चल पा रहा था कि जयपाल हुड्डा कुएं में किस तरफ दबा हुआ है? मंगलवार शाम को पहली बार बचाव टीम को जयपाल का शरीर नजर आया। स्याहड़वा हिसार जिले का अंतिम गांव हैं जो जिला हैडक्वार्टर से 33 किलोमीटर दूर भिवानी बॉर्डर पर पड़ता है।
इससे पहले सोमवार रात को आंधी-बरसात की वजह से सेना और NDRF का अभियान तेजी नहीं पकड़ पाया। रातभर मिट्टी हटाने का काम शुरू नहीं किया जा सका। मंगलवार सुबह शुरू हुए रेस्क्यू ऑपरेशन में दोपहर होते होते तेजी आ गई। बचाव दल के जवानों ने कुएं के चारों ओर पोकलेन मशीनों से मिट्टी हटानी शुरू की। मौके पर रेतीली चट्टान होने की वजह से कुएं में मिट्टी गिरने की आशंका के चलते बचाव टीम पूरी सावधानी से काम करती रही। जिस कुएं में यह घटना हुई, वह तकरीबन 25 फीट तक ईंटों से पक्का किया हुआ है। उसके नीचे मिट्टी की दीवार है जिसे हटाकर कुएं को चारों ओर से समतल किया गया।
मौसम ने डाला अड़ंगा
स्याहड़वा गांव में बचाव अभियान के दौरान खराब मौसम ने भी कई बार अड़ंगा डाला। सोमवार शाम 7 बजे कुएं में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन मिट्टी गिरने के बाद बंद करना पड़ गया। रात 9 बजे मिट्टी हटाने का काम दोबारा शुरू किया तो आंधी के साथ बरसात शुरू हो गई। इसकी वजह से भी राहत कार्य में दिक्कत आई। मंगलवार को मौसम साफ होने पर सुबह 6 बजे से पूरी ताकत के साथ मिट्टी हटाने का काम शुरू किया गया। मौसम दोबारा रोड़ा न बन जाए, इसलिए सेना और NDRF के जवान जल्दी से जल्दी जयपाल हुड्डा तक पहुंचने की कोशिश में लगे रहे।
दोनों के परिवार में मातम
जयपाल हुड्डा को कुएं में दबे हुए 61 घंटे हो गए और उसके परिवार के सदस्यों का रो रोकर बुरा हाल है। यह पूरी घटना जयपाल की पत्नी सावित्री की आंखों के सामने हुई इसलिए वह बार बार रो पड़ती है। जयपाल के परिवार में पत्नी सावित्री के अलावा एक बेटा और एक बेटी है। उसकी बेटी की शादी हो चुकी है जबकि बेटा अभी पढ़ रहा है। उधर जयपाल के साथ कुएं में दबे मजदूर जगदीश फौजी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। जगदीश की पत्नी की मौत हो चुकी है। उसके परिवार में केवल एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है।
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