देश में संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था। इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान निर्माण करने वाली सभा में कुल सदस्यों की संख्या 389 थी। जिसमें 324 लोगों ने हस्ताक्षर किए थे। संविधान का निर्माण करने वाली सभा में हिसार के तीन लोग भी मौजूद थे।
जिसमें प्रमुख रूप से पंडित ठाकुरदास भार्गव, लाला अंचित राम और चौधरी सूरमजल शामिल थे। ऐसे में संविधान निर्माण में हिसार की भूमिका भी अहम थी।
संयुक्त पंजाब के पहले मुख्यमंत्री के भाई थे ठाकुर दास भार्गव
ठाकुर दास भागर्व संयुक्त पंजाब के पहले मुख्यमंत्री गोपीचंद भार्गव के बड़े भाई थे। ठाकुर दास भार्गव का जन्म रेवाड़ी में 1886 में हुआ था। कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद पहले दिल्ली और फिर हिसार में वकालत की। पंडित मदन मोहन, लाला लाजपत राय की नेशनलिस्ट पार्टी के सदस्य बने और 1926 में केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए। 1946 में कांग्रेस सदस्य के रूप में केंद्रीय एसेंबली के सदस्य बने। इसके बाद भी संयुक्त पंजाब में सांसद बने। वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य रहे। ठाकुर दास भार्गव ने गौकशी के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया। गौकशी पर उन्होंने दो किताबें भी लिखी।
असेंबली में बम फेंकने के समय थे
8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्नर दत्त ने असेंबली हॉल में जब दो बम गिराए, तब ठाकुर दास भार्गव उस समय असेंबली में सेंशन अटेंड कर रहे थे। वे 1926 से लेकर 1929 तक केंद्रीय असेंबली के सदस्य रहे। उस समय वे अंबाला डिवीजन से असेंबली सदस्य थे।
संविधान की प्रस्तावना लिखी
उनके पोते जगदीप भार्गव ने बताया कि ठाकुर दास भार्गव ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना, आर्टिकल 48, महिलाओं के समानता अधिकारियों को शामिल किया। भारतीय संविधान की प्रस्तावना की ड्राफ्टिंग में उनका अहम रोल है। उपराष्ट्रपति का पद, उनकी शक्तियां और जरूरत को सोचते हुए इसकी प्रस्तावना भी लिखी। इसके अतिरिक्त संविधान सभा में संविधान की धारा 21 के संबंध में उनके द्वारा एक संशोधन का जिक्र सुप्रीम कोर्ट भी कर चुका है। आजाद भारत में जितने कानून साल 1962 में बने, उनकी संसदीय कमेटियों में सक्रिय रहे।
अंचित राम के पुत्र बने उपराष्ट्रपति
हिसार के संविधान सभा सदस्य लाला अचिंत राम के बेटे कृष्ण कांत देश के उपराष्ट्रपति बने। वहीं सूरजमल के परिवार के सदस्य भी प्रदेश की राजनीति में रहे।
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