हरियाणा के हिसार शहर में 10 साल पुराने मामले में आज सजा सुनाई गई। एडीजे वेद प्रकाश सिरोही की कोर्ट ने केस पर सुनवाई करते हुए दोषी बिलास कुमार को 42 महीने का कठोर कारावास व एक लाख 25 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना नहीं भरने पर चार महीने की अतिरिक्त सजा होगी। बिलास कुमार बिना किसी रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस के मरीजों की जांच करके उनको दवाइयां देता था। बिलास कुमार ने जिंदल स्कूल के पास खुद का दवाखाना खोला हुआ था।
ड्रग विभाग के अधिकारी की तरफ से 11 अगस्त 2011 को सिविल लाइन थाना में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। शिकायत में लिखा था कि एफडीए कमिश्नर के लिखित आदेश पर गैर पंजीकृत प्रैक्टिशनर्स के खिलाफ कार्रवाई हुई थी। जिंदल मॉडर्न स्कूल के पास तिरुपति कॉम्प्लेक्स में बंगाली क्लीनिक खुला हुआ है।
इसका संचालक यूआरएमपी यानी अनरजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर्स बिलास कुमार है। इसके पास न तो क्लीनिक संचालन का रजिस्ट्रेशन था और न ही कोई सर्टिफिकेट। ऐसे में ड्रग विभाग की टीम ने बंगाली क्लीनिक पर जाकर छापा मार दिया। वहां पर बिलास कुमार मिला था, जो खुद को डॉक्टर बता रहा था।
क्लीनिक में तलाशी लेने पर रैक्स में रखीं करीब 24 प्रकार की दवाइयां मिली थीं, जिसके बाद उसे सील कर दिया गया था। जब क्लीनिक का पंजीकरण नंबर व खुद रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर का सर्टिफिकेट मांगा तो वह दिखा नहीं पाया। नियमों के विरुद्ध मरीजों का इलाज करके उनकी जान के साथ खिलवाड़ कर रहा था।
इसके विरुद्ध सिविल लाइन थाना में एफआईआर दर्ज हुई थी। अदालत में चले अभियोग में आरोपी बिलास कुमार को दोषी करार दिया गया है।
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