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15 हजार क्विंटल गेहूं घोटाले में जेल में बंद खाद्य आपूर्ति विभाग के दो एएफएसओ और एक इंस्पेक्टर को डेढ़ महीने बाद जमानत मिलने पर भी वे जेल से बाहर नहीं आ सके है। पुलिस ने जेल से बाहर आने से पहले ही उनको एक अन्य केस में प्रोडक्शन वारंट पर लिया और गिरफ्तारी दिखाकर दो दिन के रिमांड पर ले लिया है।
इस बार शहर थाना पुलिस ने उन्हें फर्जी राशन कार्ड बनाने के मामले में गिरफ्तार किया है। इस प्रकार विभाग के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों में भी हड़कंप की स्थिति बन गई है। फर्जी राशन कार्ड बनाने के मामले में अन्य कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस अब उनसे रिमांड के दौरान पड़ताल करेगी कि इसमें उनके साथ और कौन कौन शामिल है। कितने रुपये लेकर राशन कार्ड बनाए थे।
इसका उपयोग क्या लाभ लेने के लिए किया गया। जिस प्रकार साहुवाला प्रथम में भी फर्जी डिपू लिया गया था। उसी प्रकार अन्य कार्याे में भी फर्जी राशन कार्ड का प्रयोग किया गया है। आरोपी अधिकारियों को कोर्ट से 16 फरवरी को नियमित जमानत मिल गई थी। इसके बाद ही पुलिस ने आरोपियों का प्रोडक्शन वारंट कोर्ट से जारी करवा लिया। आरोपी अधिकारी जेल के बाहर खुली हवा में सांस लेने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन पुलिस उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया।
महिला डिपू होल्डर ने मांगी अग्रिम जमानत
वहीं, इस मामले में आरोपी डिपो होल्डर पूजा रानी ने भी अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में याचिका दायर की है। आरोपी पूजा रानी से पहले 6 आरोपी डिपो होल्डरों को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
यह है पूरा मामला
बता दें कि करीब तीन साल पहले खाद्य एंव आपूर्ति विभाग के डिप्टी डायरेक्टर को शिकायत मिली थी कि सिरसा में विभाग के अधिकारियों ने डिपो होल्डरों के साथ मिलीभगत करके करोड़ों के गेहूं घोटाले को अंजाम दिया है। इसके बाद विभाग के डिप्टी डायरेक्टर केके बिश्नोई स्वयं सिरसा आए।
उन्होंने कॉन्फेड के अधिकारियों से डिटेल निकलवाई तो खुलासा हुआ कि किस प्रकार अधिकारियों ने चहेते डिपो होल्डरों के नाम फर्जी बिल काटकर गेहूं दी हुई है। इसके अलावा खुलासा हुआ कि फर्जी राशन कार्ड भी बनाए हुए हैं।
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