रोडवेज के बेड़े में बसों की कमी की वजह से हर रोज विभिन्न रूटों पर बसों के चक्कर मिस हो रहे हैं। बसों की कमी की वजह से बसें समयसारिणी के अनुसार नहीं चल पा रही, इससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विभाग के मुख्यालय ने सभी डिपो महाप्रबंधकों को पत्र जारी कर मिस हो रहे चक्करों की डेली रिपोर्ट मांगी है। हर महीने की पांच तारीख से पहले सभी डिपो को मुख्यालय रिपोर्ट भेजनी होगी, जिसमें कितनी बसों के चक्कर मिस हुए, कौन सी बस किस समय रूट पर गई, किस समय वापस आई इसकी सारी जानकारी देनी होगी। संस्थान प्रबंधक को भी डेली रजिस्टर लगाने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें चालक-परिचालकों के भी हस्ताक्षर होंगे। बस अड्डे पर बसों की समयसारिणी भी नहीं लगी है, जिस कारण यात्रियों को यह नहीं पता चल पा रहा कि कौन सी बस किस समय आएगी। जींद डिपो का नार्म 200 बसों का है लेकिन इस समय करीब 145 बसें विभिन्न रूटों पर दौड़ रही हैं। इन बसों के अंतर राज्यीय रूटों पर करीब 16 परमिट हैं तो अंतरजिला रूटों पर भी 73 रूट परमिट हैं। अंतर राज्य रूटों पर जींद से हरिद्वार, पटियाला, लुधियाना, खनौरी, जयपुर, श्रीगंगानगर, अमृतसर, बालाजी, देहरादून, मथुरा के रूट हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत रूटों पर बसें नहीं चल पा रही हैं और इन रूटों के चक्कर मिस हो रहे हैं। जींद से हिसार, करनाल, भिवानी, चंडीगढ़, सोनीपत, कैथल, पानीपत जैसे रूटों पर 73 रूटों में से करीब 20 रूट बंद पड़े हैं। कभी रूटों पर बसें भेज दी जाती हैं तो कभी चक्कर मिस कर दिए जाते हैं, क्योंकि परिवहन विभाग के बेड़े में बसों का टोटा है और रूट परमिट के अनुसार बसें नहीं जा पा रही हैं। लोकल रूटों पर भी ग्रामीण क्षेत्र में कभी बसें चली जाती हैं तो कभी उन्हें बंद कर दिया जाता है। इससे रोजाना चक्कर मिस होने से यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती हैं। बसों के समय के अनुसार यात्री बस अड्डे पर आते हैं लेकिन उन्हें बसें नहीं मिल पाती। इसकी शिकायतें भी मुख्यालय पहुंच रही हैं, इसलिए मुख्यालय ने सभी डिपो से चक्कर मिस होने की रिपोर्ट मांगी है।
बसों को समयसारिणी के अनुसार संचालन एसएस की जिम्मेदारी
डिपो की सभी बसों को समयसारिणी के अनुसार और सुचारू रूप से चलवाने की जिम्मेदारी संस्थान प्रबंधक की होती है लेकिन संस्थान प्रबंधक द्वारा इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा। रोडवेज बसों के चक्कर मिस होने का प्राइवेट बस ऑपरेटर जमकर फायदा उठा रहे हैं। कई बार तो प्राइवेट बस ऑपरेटर दो-दो बसों के समय में एक बस निकालते हैं। इससे यात्रियों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है। यात्री शंकर, प्रवेश, प्रमिल, दिनेश, मनीष ने बताया कि गोहाना रूट पर शाम पांच बजे के बाद हर 10 से 15 मिनट बाद बस की सर्विस है लेकिन 40 मिनट से एक घंटे बाद एक बस मुश्किल से निकाली जाती है।
नए बस अड्डे पर कहीं नहीं लगी है समयसारिणी
पिंडारा के पास नया बस अड्डा शिफ्ट हुए दो महीने से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन अभी तक बसों की समयसारिणी को डिस्पले नहीं किया गया है। नियमों के अनुसार सभी रोडवेज और प्राइवेट बसों का समय बूथ के काउंटर पर या अलग से लगाना होता है लेकिन नए बस अड्डे पर कहीं भी समयसारिणी नजर नहीं आ रही। यात्री रमेश, सोनू, रणधीर, उमेश, प्रतीक, अजय, विपिन ने कहा कि अगर हर बूथ के काउंटर पर समयसारिणी होगी तो यात्रियों को यह पता चलता रहेगा कि काउंटर पर किस समय रोडवेज बस और किस समय प्राइवेट बस लगेगी। ज्यादातर यात्री रोडवेज बस में सफर करना पसंद करते हैं लेकिन समयसारिणी के नहीं होने से उन्हें कई बार गुमराह कर दिया जाता है और कहा जाता है कि रोडवेज बस का कोई समय नहीं है, इसलिए प्राइवेट बस में ही गंतव्य की तरफ प्रस्थान कर लें।
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