सरकार ने जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर बिल्डिंगों का जाल तो बिछा दिया है। लेकिन इलाज कहीं नहीं है। जिला नागरिक अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक डॉक्टरों का टोटा है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में तो हालात और भी बदत्तर हैं। पूरे जिले में डॉक्टरों के 147 पद हैं। लेकिन सिर्फ 41 डाॅक्टर ही कार्यरत हैं। डाक्टरों के 106 पद खाली पड़े हैं। कलायत व गुहला उपमंडल अस्पतालों में तो हालात और भी बदत्तर हैं। कलायत उपमंडल अस्पताल में एसएमओ के 2 और डॉक्टरों के 10 पद खाली पड़े हैं। गुहला अस्पताल के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं। यहां भी डॉक्टरों के 11 में से 8 पद खाली पड़े हैं।
सबसे खराब हालत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की है। जिले में 21 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। लेकिन जानकर हैरानी होगी कि इनमें से 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तो एक भी डाॅक्टर नहीं है। वहीं कैथल के जिला नागरिक अस्पताल के हालात भी कुछ अच्छे नहीं हैं। यहां भी डॉक्टरों के 55 पद स्वीकृत हैं। लेकिन इनमें से सिर्फ 21 पदों पर ही डाॅक्टर हैं। हालांकि कागजों में इनकी संख्या ज्यादा है।
व्यवस्था संभालने वाले भी नदारद
अस्पतालों में इलाज के साथ-साथ व्यवस्था संभालने वालों का भी टोटा है। जिला नागरिक अस्पताल में पिछले करीब 10 माह से पीएमओ का पद खाली पड़ा है। 5 एसएमओ में से 2 पद खाली हैं। 2 उपमंडल अस्पतालों में 4 एसएमओ के पद हैं। जिनमें से 2 पद खाली पड़े हैं। इसी तरह 4 सीएचसी में एसएमओ के 4 पदों में 2 खाली पड़े हैं।
इधर... नई पीएचसी बनने से लोग खुश, लेकिन जो पहले बनी वहां भी डाॅक्टर नहीं
जिले में अगौंध, फरल में पीएचसी की नई बिल्डिंग बनकर लगभग तैयार है। गांव सजूमा में जल्द ही पीएचसी भवन बनना शुरू हो जाएगा। लोगों में खुशी है कि अब घर तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंच गई हैं। लेकिन उन्हें मालूम नहीं है कि जो वर्षों पहले पीएचसी बनी थी सरकार वहां भी डॉक्टरों का इंतजाम नहीं कर पाई। किठाना, करोड़ा, कांगथली, पाडला, रसीना, फरल, बालू, बढ़सीकरी व सजूमा जैसे गांवों में बनी पीएचसी में एक भी डाॅक्टर नहीं हैं।
डाॅक्टर ही नहीं पैरामेडिकल स्टाफ का भी टोटा
पूरे जिले में सिर्फ डॉक्टरों का ही नहीं पैरामेडिकल स्टाफ का भी टोटा है। नर्सिंग सिस्टर, स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, रेडियोग्राफर समेत सैकड़ों पद खाली पड़े हैं। वहीं दूसरे सहायक स्टाफ का भी यही हाल है। जहां डाॅक्टर हैं वहां भी मैनपावर न होने से मरीजों का इलाज नहीं मिल पा रहा है।
डाॅक्टरों की कमी है और डिमांड पहले ही उच्चाधिकारियों को भेजी जा चुकी है। बार-बार रिमाइंडर भी दिए जा रहे हैं। डॉक्टरों की भर्ती सरकार के स्तर पर होनी है। नई भर्तियां हो रही हैं। जल्द ही नए डाॅक्टर मिलने की संभावना है।-डाॅ. जयंत आहुजा, सिविल सर्जन, कैथल।
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