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मौत के एक्सप्रेस-वे:शहरों से दूर, फिर भी न एंबुलेंस, न मेडिकल की सुविधा, हादसा होने पर इलाज के अभाव में ही दम तोड़ रहे लोग

कैथल/सोनीपत3 महीने पहले
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2 बड़े एक्सप्रेस-वे की मेंटेनेंस नहीं, इमरजेंसी व मूलभूत सुविधाएं नहीं, इसलिए मौत का रास्ता बन रहे - Dainik Bhaskar
2 बड़े एक्सप्रेस-वे की मेंटेनेंस नहीं, इमरजेंसी व मूलभूत सुविधाएं नहीं, इसलिए मौत का रास्ता बन रहे

एक्सप्रेस-वे से सफर आसान हुआ है, पर मेंटेनेंस, इमरजेंसी व मूलभूत सुविधाओं के अभाव में ये मौत का रास्ता बनते जा रहे हैं। कुरुक्षेत्र-नारनौल एक्सप्रेस-वे (एनएच-152डी) और कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे पर सालभर में ही 50 से ज्यादा मौत हो चुकी हैं। 41 से ज्यादा घायल हुए। इसलिए भास्कर ने प्रदेश के इन दो बड़े एक्सप्रेस-वे पर जाकर हालात जाने।

इन पर एंबुलेंस व मेडिकल की सुविधाएं नहीं मिली। ये शहरों से दूर हैं। एक शहर से दूसरे शहर का एग्जिट व एंट्री प्वॉइंट 15-20 किमी. दूर पड़ता है। दुर्घटना पर इलाज में देरी के कारण मौतें हो रही हैं। एनएच-152डी पर 6 ट्रामा सेंटर, एक कॉल पर एंबुलेंस सुविधा का दावा था, पर 8 माह बाद भी ये सुविधाएं नहीं मिल रहीं।

इसी तरह, 4 साल पहले शुरू हुए केएमपी एक्सप्रेस-वे पर पार्किंग, पेट्रोल व सीएनजी पंप, पेयजल, शौचालय और मैकेनिक तक की सुविधा नहीं हैं। सड़क पर बब्लिंग बन गई है। अवैध कट बना लिए गए हैं। रेलिंग टूटी पड़ी है। पुलिस गश्त तक नहीं है। पढ़िए दोनों एक्सप्रेस-वे के हालात बताती रिपोर्ट...

टोल वसूली खूब, पर हादसे पर बचाने वाला कोई नहीं

कुरुक्षेत्र के गंगहेड़ी के पास से हिसार-चंडीगढ़ नेशनल हाइवे को कनेक्ट करने वाला 227 किमी. लंबा एक्सप्रेस-वे 8 जिलों से गुजरकर नारनौल तक जाता है। अगस्त 2022 में शुरू हुए एक्सप्रेस-वे पर कार पर करीब डेढ़ रुपए किमी. टोल लगता है।

एक्सप्रेस-वे पर लगातार हादसे हो रहे हैं, पर घायलों को बचाने के लिए 8 माह बाद भी मेडिकल सुविधाएं शुरू नहीं हुई हैं। एक्सप्रेस-वे पर 6 ट्रामा सेंटर बनाए हैं, पर एक भी चालू नहीं हो पाया है। इनके गेट पर ताले लटके हैं। कई जगह काम भी चल रहा है। यानी हादसे में कोई घायल हो जाए तो आसपास के शहर के अस्पताल में ही ले जाना पड़ेगा।

रात में तो लोग फैमिली के साथ निकलने से कतराते हैं यहां...

नवंबर 2018 में शुरू हुए 135.6 किमी. लंबे कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे पर कार का टोल 1.61 रु. प्रति किमी वसूला जा रहा है। इसके बावजूद 4 साल बाद भी मूलभूत सुविधाएं तक शुरू नहीं हुईं। हर 20 किमी. पर एंबुलेंस, पुलिस गश्ती वाहन व क्रेन उपलब्ध कराने का दावा था, पर कुछ भी नहीं मिल रहा है। रेस्ट व पार्किंग एरिया तक नहीं है। पेयजल व शौचालय भी कहीं नहीं मिलता। पेट्रोल-डीजल या सीएनजी खत्म होने पर लोग धक्का लगाते दिखे। गाड़ी पंक्चर हुई या कोई खराबी आई तो मैकेनिक या क्रेन की सुविधा नहीं मिलती।