इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल:"सफलता का कोई शाॅर्ट कट नहीं होता, मेहनत ही सफलता की कुंजी'

करनाल3 महीने पहले
  • कॉपी लिंक
करनाल. फिल्म फेस्टिवल में श्वेता मेनन के  साथ सेल्फी लेते हुए  । - Dainik Bhaskar
करनाल. फिल्म फेस्टिवल में श्वेता मेनन के साथ सेल्फी लेते हुए ।

हैलो जी, कैसे हो आप, सब चंगा चंगा, मेरी आवाज तो आप तक पहुंच रही है, आपकी आवाज यहां तक नहीं आ रही। सिने तारिका श्वेता मेनन ने इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के चौथे दिन मंच से ये बात बोली तो मौजूद स्टूडेंट्स ने सीटियां, तालियां बजाकर गर्मजोशी से अभिनेत्री का स्वागत किया। अभिनेत्री श्वेता मेनन ने मंच पर मीडिया के सवालों के जवाब में साफ कहा कि सफलता के लिए कोई शार्ट कट नहीं होता, केवल अपने काम पर फोक्स और कड़ी मेहनत ही सफलता की असल कुंजी है। युवा अभिनेत्रियों को फिल्मों में आने से पहले अपने मां बाप और बुजुर्गों की इजाजत जरूर लेनी चाहिए क्योंकि उनके आशीर्वाद के बिना आप फिल्मों में आ तो सकते हैं, लेकिन उनकी दुआओं के बिना फिल्म इंडस्ट्री या किसी भी बड़े प्रोफेशन में हिट नहीं हो सकते। वहीं, सुबह के सत्र में आए डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने 2 आर्ट एंड कल्चर सोसायटी डिवलेपमेंट को 2 लाख रुपए देने की घोषणा की। मंच पर पहली बार फेस्टिवल डॉयरेक्टर धर्मेंद्र डांगी को फेस्टिवल पवनपुत्र हनुमान जी की संज्ञा दी गई। मंच का शानदार संचालन हमेशा की तरह प्रोफेसर आबिद अली ने किया।

अगली बार सरकार से फेस्टिवल आर्गेनाइज करवाएंगे: फेस्टिवल में आयोजकों का साथ दे रहे नवचेतना मंच के संयोजक एसपी चौहान ने सांसद संजय भाटिया से सफल फेस्टिवल के लिए एमपी लैंड से दो लाख रुपए देने का आग्रह किया। एमपी संजय भाटिया को मंच से ऐलान करना पड़ा कि ऐसी बात को पहले ही बताना चाहिए। अगले फेस्टिवल की तैयारी करो वे सरकार से पूरा फेस्टिवल आर्गेनाइज करने की बात करेंगे।

सिनेमा मनोरंजन का का साधन, इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए: श्वेता मेनन
करनाल। सवालों की कड़ी में जब अभिनेता कृष्ण मलिक ने सिने तारिका श्वेता मेनन से कार्मिशयल व दूसरी फिल्मों का अंतर पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि सिनेमा सिर्फ सिनेमा है, इसमे कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। लोग इंटरटेनमेंट के लिए ही फिल्म देखते हैं। पत्रकारों के सवाल का जबाव देते हुए कहा कि 16 साल की उम्र से ही फिल्मों में हैं, उन्हें कोई परेशानी नहीं है,जो छवि फिल्म निर्माताओं की या दूसरों की बनाई जाती है, ऐसा कुछ नहीं है, मेहनत करने वालों को उनकी मंजिल जरूर मिलती है, अपने काम पर इंसान का पूरा फोक्स होना चाहिए।