किसान नेता राकेश टिकैत इस बार भी आंदोलन को खत्म नहीं करना चाहते हैं। उनके नजरिए से अभी 5-6 मांगें और मानी जानी बाकी हैं। बुधवार को केंद्र द्वारा गठित कमेटी के तरफ से आए सरकारी प्रस्ताव को पजांब-हरियाणा के किसानों ने मंजूरी दी। विरोध हुआ तो टिकैत खेमे का, जो संख्या में कम रहा। अब ऐसे में खेमा और टिकैत साहब ज्यादा नहीं टिक पाए।
अकेले पड़ता देख मजबूरन राकेश टिकैत को भी झुकना पड़ा और सरकार की तरफ से आए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। साथ ही किसानों के बीच कहा कि सरकार अपनी बातों से मुकरी तो दोबारा आंदोलन शुरू कर लेंगे।
सरकारी ड्राफ्ट (प्रस्ताव) में दो मांगों का मानी जाना शामिल रहा। इसमें मृतक के परिवार को 5 लाख रुपए मुआवजा और सभी केस वापस (रद्द) लिए जाएंगे। ऐसा सुनते ही हरियाणा तैयार हुआ और पंजाब तो पहले ही पैकिंग कर रहा था। हरियाणा के लिए केस हटवाना बड़ी बात थी।
वर्ष 2016 में हुए जाट आंदोलन वाला ही डर किसानों को सता रहा था। पिछले पांच सालों से आंदोलन के केसों के अंतर्गत पकड़े गए लोग आज भी जेलों में बंद हैं। जबकि किसानों पर तो देशद्रोह की धारा भी लगी हुई है। ऐसे में उनका डर भी सच्चा ही है।
टिकैत को छोड़ सभी के चेहरे खिले रहे
सिंघू बॉर्डर पर मीटिंग खत्म होने के बाद जब 6 बजे किसान नेता बाहर निकले तो सभी के चेहरे खिले हुए थे, लेकिन जब राकेश टिकैत आए तो उनके चेहरे पर मुस्कान नहीं थी। टिकैत ने कहा कि किसानों की बहुत-सी मांगें अभी बाकी हैं। जो सरकार ने भेजी हैं, उनको मान लिया है। सभी की सहमति हुई है कि जब अधिकारिक रूप से मांगें मान ली जाएगी, तब आंदोलन काे हटा लिया जाएगा।
घोड़े पर बिठाकर भेजें, गधों पर नहीं...
खटकड़ टोल से आए किसानों ने कहा कि, हम सामाजिक और पंचायती आदमी हैं। हमें तो पंचायतों में गांव-गांव जाना पड़ता है। हम न तो SKM के साथ हैं और न ही किसी दूसरे संगठन के साथ हैं। हम किसी की भी मानने वाले नहीं हैं। सिर्फ एक बात यह रखते हैं कि वहां के लोगों ने हम पर विश्वास किया है। आज दिल्ली बात हुई। उसके बाद सिंघु बॉर्डर चर्चा हुई। हमें घोड़े पर बैठकर जाना है। गधे पर नहीं। जो निर्णय होगा सोच समझकर करना।
चढ़ूनी ने पहले ही दिया था आदेश
चढ़ूनी समर्थक ने कहा कि गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने उन्हें पहले ही कह दिया था। अब अपना सामान पैक कर लो, घर जाने का समय है। उन्होंने कल ही पूरी पैकिंग कर ली। केस वापस होना जरूरी था। बाकी मांगों को तो दोबारा भी मनवा लिया जाएगा।
प्रदेश में 48 हजार पर दर्ज हैं केस
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि हरियाणा के सभी संगठनों की SKM की बैठक से पहले सभी बातों पर चर्चा हुई। सभी मांगें जायज रहीं, पर केस वापस होना महत्वपूर्ण बात है। प्रदेश के 48 हजार किसानों पर केस दर्ज हैं। आंदोलन को खत्म करवाते समय भी सरकार ने केस वापस लेने की बात कही थी, पर अभी तक वापस नहीं लिया।
उस समय जाट आंदोलनकारियों ने लिखित में नहीं लिया था, इसी गलती की सजा आज भी भुगत रहे हैं। हम लिखित में आने के बाद आंदोलन समाप्त कर देंगे। SKM की बैठक में किसानों को 5 लाख मुआवजा और सभी केसों को वापस लिया जाना तय हुआ। इस पर सभी किसान सहमत हैं कि अधिकारिक रूप से घोषणा हो तो आंदोलन समाप्त करेंगे।
दोनों प्रदेश के नेताओं ने जताई सहमति
किसान नेता रतन मान ने बताया कि बुधवार को हरियाणा के सभी संगठनों की अलग से बैठक हुई। वे केस दर्ज और मुआवजे की बात पर सहमत थे। इसके बाद पंजाब के संगठन भी बैठक में जुड़े, दोनों ही प्रदेश के किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव पर सहमति जताई।
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