हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी की 10वीं तथा 10+2 की परीक्षाओं में बोगस प्रमाण पत्रों का मामला सामने आने पर अब बोर्ड ने स्कूलों में विद्यार्थियों को प्रवेश देते समय स्वास्थ्य विभाग हरियाणा की ओर से जारी प्रमाण पत्र की प्रति जमा करवाना अनिवार्य कर दिया है। बोर्ड के इस निर्णय से 10+2 की परीक्षाओं की अंकतालिका तथा परीक्षार्थियों के जन्म प्रमाण पत्र में जन्मतिथि तथा नाम में पाए जाने वाले अंतर पर रोक लगेगी।
बता दें कि बोर्ड की 10वीं तथा 10+2 की कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का बोर्ड में रजिस्ट्रेशन करते समय जन्म तिथि लिखना अनिवार्य है। ऐसे में जन्म तिथि के प्रमाण के लिए विद्यार्थी को या तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी जन्म प्रमाण पत्र दिखाना होता है या फिर सर्टिफाइड शपथ पत्र देना होता है। इसके अलावा दूसरे स्कूल से आने वाले विद्यार्थी को एसएलसी भी जमा करवानी होती है। जो जरुरी कागजात हैं, परंतु अभी तक अनेक विद्यार्थियों के अभिभावक जन्म तिथि व एसएलसी का शपथ पत्र जमा करवाते रहे हैं। ऐसे स्थिति में बोर्ड में रजिस्ट्रेशन करते समय जो जन्म तिथि तथा नाम दर्ज करवाया जाता है, उसका स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी प्रमाण पत्र से मिलान नहीं हो पाता है, जबकि विद्यार्थी अंक तालिका में दर्ज जन्म तिथि के आधार पर अपना ड्राइविंग लाईसेंस, पैन कार्ड, बैंक खाता, आधार कार्ड, सर्विस बुक व पासपोर्ट बनवा लेते हैं।
जब कुछ विद्यार्थियों के प्रमाण पत्रों के नाम व जन्म तिथि का स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र की तिथि व नाम का मिलान नहीं हो पाता है। इसके चलते विद्यार्थियों को अपने प्रमाण पत्रों के रिकार्ड को दुरुस्त करवाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस परेशानी को देखते हुए अब बोर्ड ने स्कूलों में विद्यार्थियों को प्रवेश देते समय स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी प्रमाण पत्र की प्रति जमा करवाना अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ ही शिक्षकों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र को आधार मानकर ही उनका रजिस्ट्रेशन करने के निर्देश दिए हैं।
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