वैक्सीनेशन से कोरोना का ग्राफ नीचे आने के बाद सैनिटाइजर के इस्तेमाल में बड़ी गिरावट आई है। भास्कर की पड़ताल में सामने आया है कि दूसरी लहर के बाद सैनिटाइजर का इस्तेमाल 90% तक घट गया है। 7 बड़े जिलों से जुटाए गए आंकड़ों से पता चला है कि यहां कोरोना के पीक के दौरान रोज एक लाख लीटर से ज्यादा सैनिटाइजर की खपत हो रही थी, जो अब करीब 10 हजार लीटर से भी कम रह गई है। इसके चलते सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां बंद होने लगी हैं। कोरोनाकाल में 5 बड़े जिलों में 141 कंपनियां सैनिटाइजर बना रही थीं। इनमें से 87 फर्मों ने सैनिटाइजर का उत्पादन बंद कर दिया है।
सोनीपत: 57 फर्मों में से अब 15 ही चल रहीं
मार्च 2020 से पहले जिले में 4 फर्में सैनिटाइजर बनाने का काम करती थीं। लॉकडाउन के बाद करीब 80 लोगों ने सैनिटाइजर की फर्म के लिए आवेदन किया। 57 को लाइसेंस जारी किए गए। डीईटीसी नरेश कुमार ने कहा, ‘कोरोनाकाल में हर सप्ताह 10 हजार लीटर सैनिटाइजर की खपत थी, जो अब सिर्फ 3 हजार रह गई है। अब 15 फर्म ही सैनिटाइजर बना रही हैं।
पानीपत: 1350 ली. खपत थी, अब 10 ली. भी नहीं
पानीपत केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के प्रधान करतार सिंह मक्कड़ ने बताया कि कोरोनाकाल में रोज करीब 1350 लीटर सैनिटाइजर की खपत थी। अब रोज 10 लीटर भी सैनिटाइजर नहीं बिक रहा। यहां एक कंपनी ने सैनिटाइजर बनाना शुरू किया था, जिसने अब उत्पादन बंद कर दिया है।
करनाल: 40 में से 15 फर्में बंद हो गईं
यहां अब तक 5 करोड़ रुपए से अधिक का सैनिटाइजर बिक चुका है। काेरोना पीक के दिनों में प्रतिदिन 30 हजार लीटर सैनिटाइजर की खपत हो रही थी। अब यह 250 लीटर पर सिमट गई है। कोरोना में 40 कंपनियों ने सैनिटाइजर बनाना शुरू किया था, जिनमें से 15 बंद हो चुकी हैं।
यमुनानगर: 13 में से 4 कंपनियां ही उत्पादन कर रहीं
कोरोना शुरू हुआ तो यहां 13 कंपनियों ने सैनिटाइजर बनाने के लिए लाइसेंस लिए। कोरोना के पीक के दौरान जिले में हर दिन 7 हजार लीटर सैनिटाइजर बनाती थीं। अब सिर्फ 4 कंपनियां सैनिटाइजर बना रही हैं। यहां 3 हजार लीटर का उत्पादन हो रहा है। अन्य फर्म बंद हो चुकी हैं।
नारनौल: पहली लहर के बाद ही गिर गई थी खपत
यहां पहली लहर में 1 लाख लीटर से अधिक सैनिटाइजर की बिक्री हुई। इस साल मई में सिर्फ 10 हजार लीटर सैनिटाइजर बिका। पिछले 4 महीने से सैनिटाइजर की कोई डिमांड ही नहीं है।
रोहतक: 34 हजार ली. थी खपत, अब 3 हजार रह गई
कोरोना की पहली लहर में हर दिन औसतन 34 हजार लीटर सैनिटाइजर की खपत हुई। कोरोना केस कम होने के बाद अब रोज औसतन 3 हजार लीटर सैनिटाइजर की खपत रह गई है।
अम्बाला बना था सैनिटाइजर प्रोडक्शन का सबसे बड़ा केंद्र
सैनिटाइजर के उत्पादन में अम्बाला जिला प्रदेश में टॉप पर रहा। कोरोना से पहले यहां एक फर्म सैनिटाइजर बनाती थी। कोरोनाकाल में 30 फर्मों ने सैनिटाइजर से 10.26 अरब से ज्यादा का टर्नओवर किया। 20 करोड़ रु. जीएसटी चुकाया। यहां से ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, सिंगापुर और अरब देशों को सैनिटाइजर निर्यात किया गया। अब 10 फर्म ही सैनिटाइजर का उत्पादन कर रही हैं। पहले एक कंपनी रोज 50 हजार बोतल सैनिटाइजर बना रही थी, जो अब सिर्फ 330 बोतल बना रही है।
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