हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग ने 2011 से लागू आरटीई में पुन: संशोधन किया है। इसके तहत अब प्राइवेट स्कूलों को 8वीं तक की मान्यता देने के लिए निदेशक मौलिक शिक्षा विभाग को अधिकृत किया गया है या फिर वे इसके लिए किसी भी प्राधिकृत अधिकारी की ड्यूटी लगा सकते हैं।
इससे पहले प्राइवेट स्कूलों को 8वीं तक की मान्यता देने के लिए मौलिक शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक व संयुक्त निदेशक को अधिकृत कर रखा था, लेकिन मान्यता से संबंधित कई विवादास्पद मामलों के सामने आने के बाद अब निदेशक मौलिक शिक्षा विभाग को अधिकृत किया गया है।
25 प्रतिशत बच्चे सीधा प्राइवेट स्कूलों में ले सकेंगे दाखिला
आरटीई को 2011 में लागू किया गया था, जिसमें वर्ष 2015 में कुछ संशोधन किया गया, मगर उस समय भी संशोधित अधिनियम के प्रारूप में कुछ कमियां रह गई थीं, जिन्हें अब संशोधित करके दूर किया गया है। नए संशोधन के तहत अब ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के 25 प्रतिशत बच्चे अपने घर के नजदीक एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले प्राइवेट स्कूलों में सीधा दाखिला ले सकेंगे।
फीस का खर्च भी हरियाणा सरकार मय मानकों के अनुसार उठाएगी, जबकि पहले ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के बच्चे के लिए पहले सरकारी स्कूल में दाखिले के लिए आवेदन करने का प्रावधान था। यदि उसे सीटें पूरी होने के कारण सरकारी स्कूल में दाखिला नहीं मिल पाता था तो वह प्राइवेट स्कूल में दाखिला लेने का हकदार बन जाता था। अब सरकार ने पुराने नियम को संशोधित करके नया नियम लागू कर दिया है।
बीईईओ को कमेटी गठित करने का अधिकार
जिलास्तर पर प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ आने वाले शिकायतों के निपटाने के लिए अब जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को अधिकृत किया गया है। वे अपने स्तर पर 3 से 5 सदस्यों की टीम का गठन करके किसी भी प्राइवेट स्कूल के खिलाफ आने वाली शिकायतों का निदान करेंगे। वहीं अब संशोधित नियम के तहत प्राइवेट स्कूलों को बिल्डिंग कोड 2017 की अनुपालना करनी होगी, जबकि पहले स्कूल शिक्षा नियम 2003 की पालना हो रही थी।
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