नारायणगढ़ के तहसीलदार दिनेश ढिल्लों व रणदीप राणा उर्फ भूरा नाम के व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में केस दर्ज हो गया है। आरोप है कि बैंक के नाम पर ट्रांसफर डीड करवाने की एवज में रणदीप के माध्यम से तहसीलदार ने 5 हजार रुपए लिए। नारायणगढ़ के गोकुलधाम निवासी शेखर अग्रवाल ने कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी को भ्रष्टाचार का उलाहना दिया तो उन्होंने तहसीलदार को फोन मिला दिया था।
जिसके बाद शेखर अग्रवाल के पैसे तो वापस हो गए, लेकिन उन्होंने सीएम विंडो पर शिकायत डाल दी। जिस पर तत्कालीन एसडीएम अदिति ने जांच कर प्रथमदृष्या अपराध का होना पाया था। उन्हीं की रिपोर्ट को आधार बनाकर अब केस दर्ज हुआ है। आगामी जांच के लिए फाइल डीएसपी को भेजी गई है। शुक्रवार को दोपहर 12 बजे तक तहसीलदार कार्यालय में थे, लेकिन एफआईआर दर्ज होने की सूचना के बाद निकल गए। वर्तमान एसडीएम डॉ. वैशाली शर्मा ने कहा कि अभी तहसीलदार के निलंबन के आदेश नहीं मिले हैं।
तहसीलदार ने साइन करने से मना किया, दलाल ने 5 हजार लेकर तुरंत करा दिए
13 मई को बैंक के नाम ट्रांसफर डीड करवाने तहसील गया था। दस्तावेज पूरे कर जब तहसीलदार के पास हस्ताक्षर करवाने गया तो उन्होंने मना कर दिया कि यह काम नहीं हो सकता। मैंने काफी मिन्नतें की लेकिन बात नहीं बनी। जैसे ही दफ्तर से बाहर निकला तो रणदीप भूरा मिल गया और 10 हजार में काम करवाने की बात कही। 5 हजार में सौदा तय हो गया। मैंने पैसे दे दिए तो कुछ देर में ही भूरा तहसीलदार से दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवा लाया और कुछ देर में ही पटवारी ने कंप्यूटर में डीड दर्ज कर दी।
शाम को घर लौटा तो सही काम के लिए 5 हजार रुपए देने पर बुरा लगा। मैंने कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी से शिकायत की। इस पर सांसद ने तहसीलदार ऑफिस में फोन मिलाकर 5 हजार रुपए लेने के बारे में जवाब-तलब किया। कुछ देर बाद ही अर्जुन बिष्ट व कुनाल का फोन आया कि सुबह पैसे लौटा दिए जाएंगे, किसी से शिकायत न करें। अगले दिन भूरा पैसे लौटा गया। मुझे लगा कि भ्रष्टाचार की शिकायत करनी चाहिए। इसलिए सीएम विंडो पर अर्जी लगाई। -जैसा शिकायतकर्ता शेखर अग्रवाल ने एफआईआर में लिखवाया
एसडीएम ने एकतरफा जांच की, मेरा पक्ष नहीं सुना
तत्कालीन एसडीएम अदिति ने एकतरफा जांच की है। मेरी सुनवाई नहीं हुई और मेरा पक्ष जाने बिना रिपोर्ट तैयार की गई है। यह जांच अधूरी है। जांच अधिकारी ने तबादला हो जाने के बाद जांच की। मुझे नोटिस दिया गया था। जिसके जवाब में मैंने शिकायत और गवाह के बयान की कॉपी मांगी थी, जो मेरा अधिकार था, लेकिन नहीं दी गई। डीसी को ई-मेल के माध्यम से बताया कि मेरा पक्ष नही सुना गया है। जिस तारीख में शिकायतकर्ता ट्रांसफर डीड करवाने की बात कह रहा है, उस तरीख में कोई डीड नहीं हुई। जिस रणदीप भूरा का जिक्र शिकायत में है, उससे मेरा कोई संबंध नहीं। कॉल डिटेल चेक करवा लें, उससे कभी बात नहीं हुई। -दिनेश ढिल्लों, तहसीलदार
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