केंद्र के 3 कृषि सुधार कानूनों के विरोध में आंदोलन के लिए किसानों के अंबाला से दिल्ली कूच को आज 2 साल पूरे हो गए हैं। 378 दिन लंबे चले किसान आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने तीनों कृषि वापस ले लिए थे। मगर, आंदोलन खत्म करते वक्त बनी सहमति पूरी नहीं हो पाई।
किसानों का आरोप है कि उन्हें आज तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर लीगल गारंटी नहीं मिली। वहीं आंदोलन के दौरान दर्ज हुए केस वापस करवाने के लिए हरियाणा के किसान अभी तक संघर्ष कर रहे हैं।
24 नवंबर 2020 को शुरू हुआ आंदोलन
केंद्र सरकार ने 3 कृषि सुधार कानून बनाए। इसका विरोध में 24 नवंबर 2020 को हरियाणा के किसानों ने दिल्ली कूच गया। जिसके बाद हजारों किसान दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर डट गए। वहां से वह 11 दिसंबर 2021 को लौटे, जब केंद्र सरकार ने कानून वापस ले लिए।
अंबाला में रोके गए थे किसान
हरियाणा सरकार ने दिल्ली जा रहे किसानों को अंबाला में रोकने का प्रयास किया गया। इस दौरान किसानों को रोकने के लिए लाठीचार्ज, बैरिकेंडिंग और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया। इसके बावजूद किसान नहीं रुके और दिल्ली बॉर्डर तक पहुंच गए।
आंदोलन खत्म होने के बाद क्या हुआ...
संयुक्त किसान मोर्चा दोफाड़ हुआ : किसान आंदोलन खत्म होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा दोफाड़ हो गया। पंजाब के करीब 25 किसान संगठनों ने संयुक्त समाज मोर्चा बनाया। पंजाब विधानसभा चुनाव की 117 सीटों पर चुनाव लड़ा। हालांकि वह सभी सीटें हार गए। यहां तक कि दिग्गज किसान नेता बलबीर राजेवाल भी नहीं जीत सके।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सस्पेंड किया : इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने चुनाव लड़ने वाले सभी किसान नेताओं को मोर्चे से बाहर कर दिया। उन्हें सस्पेंड करने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा आज भी शेष मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहा है।
MSP कमेटी बनी लेकिन SKM सहमत नहीं : आंदोलन खत्म होने के बाद केंद्र सरकार ने 29 मेंबरी MSP कमेटी बनाई। जिसमें 3 मेंबर संयुक्त किसान मोर्चा के लेने थे लेकिन मोर्चे ने इस पर सवाल खड़े कर दिए। मोर्चे का तर्क था कि जिन्होंने विवादित कानून बनाए या जो उनकी पैरवी करते रहे, उन्हें इस कमेटी में शामिल किया गया है। इसलिए उन्होंने कमेटी का बहिष्कार कर दिया।
5 जून को बने थे कृषि कानून
5 जून 2020 को भारत सरकार ने 3 कृषि विधेयकों को संसद के पटल पर रखा था। इसके बाद 14 सितंबर 2020 को संसद में कृषि कानूनों को लेकर अध्यादेश पेश किया गया। 17 सितंबर 2020 को अध्यादेश को लोकसभा में मंजूरी मिल गई और फिर राज्यसभा में भी 20 सितंबर 2020 को ये कृषि कानून ध्वनिमत से पारित हो गए। 27 सितंबर 2020 को कृषि बिलों को राष्ट्रपति की सहमति भी मिल गई और ये कानून बन गए।
26 जनवरी से बिगड़ा आंदोलन
किसान आंदोलन उस समय बिगड़ गया जब 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी लाल किला पहुंच गए। उन्होंने वहां केसरी झंडा फहरा दिया। जिस पर खूब बवाल भी मचा।
19 नवंबर 2021 को वापस हुए कानून
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलन के 1 साल पूरा होने से पहले 19 नवंबर 2021 को अचानक से गुरूपर्व के मौके पर ऐलान कर दिया कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को निरस्त कर रही है। मोदी सरकार के इस कदम से किसानों ने कहा कि उनकी जीत हुई है। बाद में संसद में भी इन कानून को रद करने की मंजूरी दे दी गई।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.