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प्रॉपर्टी टैक्स मैनेजमेंट सिस्टम क्लेम एवं ऑब्जेक्शन पोर्टल के जरिए अब शहरों की हर संपत्ति की यूनिक आईडी होने के कारण गलत रजिस्ट्रियां बंद हो जाएंगी और संपत्ति की कैटेगरी व एरिया में आपसी मिलीभगत से होने वाले भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।
गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इस पोर्टल का बुधवार को शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 40 शहरों की संपत्तियों का डेटा ऑनलाइन कर दिया गया है। अभी तक ज्यादातर संपत्तियों के बारे में न तो नगरीय निकायों को उसके वास्तविक उपयोग का पता होता था और न ही मालिक को पता होता था कि नगर निगम, नगर परिषद या नगर पालिका में उस संपत्ति का क्या विवरण दर्ज है, इसमें कितना और कब से टैक्स बकाया है।
कई बार मनमाने ढंग से टैक्स की डिमांड निकाल दी जाती थी, जब किसी को रजिस्ट्री के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र की जरूरत पड़ती तो पता चलता था कि उस संपत्ति पर टैक्स की बड़ी रकम बकाया है। इसे ठीक करवाने के लिए उन्हें नगरीय निकायों में चक्कर लगाने पड़ते है और काफी परेशान होना पड़ता था, लेकिन इस पोर्टल के माध्यम से ऐसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगले वित्त वर्ष से प्रॉपर्टी टैक्स के नोटिस इसी डेटा के आधार पर जारी होंगे।
30 दिन में दूर हो सकेगी गलती
अब एक क्लिक पर न केवल निकटतम लैंड मार्क सहित ड्रोन इमेंजरी पर भू टैग किए गए अपने मकान का फोटो व विवरण देख पाएंगे, यही नहीं भविष्य में हुडा, एचएसआईआईडीसी, बिजली व पानी सहित सभी विभागों के लिए एकल संपत्ति आईडी बनने से बिल और कर जमा करना आसान हो जाएगा।
ऑनलाइन उपलब्ध प्रॉपर्टी डाटा में अगर कहीं मालिक के नाम, पते, क्षेत्रफल, कैटेगरी संबंधी कोई गलती है तो उसे 30 दिन के अंदर ऑनलाइन ही वेबसाइट पर संशोधन देकर निशुल्क ठीक करवाया जा सकता है। प्रॉपर्टी मालिकों द्वारा दिए गए सुझावों को भी सत्यापन के बाद उनके द्वारा दी गई सूचना को रिकॉर्ड में सही किया जाएगा।
85 निकाय के रिकॉर्ड में नहीं थी 10 लाख प्रॉपर्टी
सर्वे के बाद अब नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाओं की आय भी बढ़ेगी। प्रदेश के 85 निकाय क्षेत्रों के लगभग 10 लाख संपत्तियां ऐसी थीं, जो निकायों के रिकॉर्ड में ही नहीं थी। यानि, सर्वे से पहले वर्ष 2014-15 तक प्रदेश में 29 लाख शहरी संपत्तियां ही निकायों के रिकॉर्ड पर थी। अब इनकी संख्या 39 लाख हो गई है। निकायों को टैक्स के रूप में आमदनी होगी, वहीं लोगों को भी सफाई, नाली, सीवरेज, ड्रेनेज, सड़क, पार्क, पार्किंग जैसी कई तरह की सुविधाएं भी मिल सकेंगी।
88 नगरीय निकायों में संपत्ति सर्वे का काम पूरा हो चुका है। पहले चरण में 40 शहरों की 9 लाख 25 हजार संपत्तियों का डेटा ऑनलाइन किया है। इसमें जियो टैगिंग के कारण संपत्ति का पूर्ण विवरण जैसे मालिक का नाम, पता, क्षेत्रफल, मोबाइल नंंबर, कैटेगरी, आईडी नंबर आदि के साथ फोटो समेत ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
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