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जहरीली शराब से 47 लोगों की मौत और शराब की अवैध तस्करी को लेकर आई एडीजीपी श्रीकांत जाधव की अध्यक्षता वाली एसआईटी की जांच रिपोर्ट से आईएएस और आईपीएस लॉबी का एक बड़ा वर्ग पूरी तरह से सहमत नहीं है।
रिपोर्ट में जिस तरह से कई आला अफसरों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, उसको लेकर कड़ी नाराजगी है। सूत्रों के अनुसार मंत्रालय के भी कई अफसर एसआईटी की रिपोर्ट को लेकर पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि एसआईटी को जांच का जो जिम्मा सौंपा था, उस पर फोकस तो किया, लेकिन जड़ तक एसआईटी नहीं पहुंच पाई। एसआईटी ने जहरीली शराब में इस्तेमाल किए गए एक्सट्रा न्यूट्रल एल्कोहल का सॉर्स तो पता लगा लिया, लेकिन महाराष्ट्र में उस सॉर्स तक पहुंचने की कोशिश नहीं हुई, जहां से इसकी सप्लाई हुई।
सबसे बड़ी बात यह है कि एसआईटी द्वारा रिपोर्ट सौंपने के तुरंत बाद इसके दो सदस्यों ने खुद को रिपोर्ट से अलग कर लिया था। आईपीएस और आईएएस सहित कई अन्य के खिलाफ एसआईटी में की गई निजी टिप्पणी से एसआईटी के ये दोनों सदस्य सहमत नहीं हैं।
आबकारी मंत्री एवं डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पहले ही कह चुके हैं कि आबकारी विभाग ने इस तरह की कोई एसआईटी नहीं बनाई है। बहरहाल अब इस मामले में गृह मंत्री अनिल विज ही खुलासा करेंगे। उन्होंने इस रिपोर्ट को स्टडी कराने के लिए कहा है और रिपोर्ट के स्टडी होते ही इसे सार्वजनिक किया जा सकेगा।
गौरतलब है कि जहरीली शराब से 47 लोगों की मौत के अलावा अवैध शराब तस्करी को लेकर एसआईटी को जांच करने का जिम्मा सौंपा था। एसआईटी ने जांच रिपोर्ट में पांच वर्षों के मामलों को शामिल किया है। अब यह देखना होगा कि रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर राज्य सरकार क्या एक्शन लेती है।
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