(संदीप बिश्नोई) एसबीआई जनरल इंश्याेरेंस बीमा कंपनी ने किसान की आरटीआई का अजीबोगरीब जवाब दिया है। बीमा क्लेम की राशि न देने पर गांव नाड़ा निवासी बलवान ने आरटीआई के माध्यम से कंपनी से जवाब मांगा था कि प्रति एकड़ के हिसाब से कितने किसानाें काे कितना भुगतान किया गया है।
कंपनी ने जवाब में कहा है कि आरटीआई एक्ट 2005 के तहत ऐसी जानकारी देना राष्ट्र हित में नहीं है। इससे देश की संप्रभुता काे खतरा पैदा हाे सकता है। दरअसल, प्रदेश के 2124 किसानाें के केवाईसी अपडेट न हाेने का बहाना बनाकर कंपनी ने बीमा क्लेम काे हाेल्ड किया हुआ है। कंपनी मैनेजर ने कहा, ‘मुझे मामले में काेई जानकारी नहीं है।’
दाे साल पहले सर्वे किया था, अब कह रहे कंप्यूटर में अपडेट नहीं
गांव नाड़ा निवासी बलवान के अनुसार साल 2018 में 22 से 25 सितंबर तक हुई तेज बारिश के कारण उनकी साढ़े 12 एकड़ धान की फसल खराब हाे गई थी। 26 सितंबर काे डीडीए ऑफिस में सूचना दी। कंपनी ने अक्टूबर तक सर्वे तक नहीं किया। किसानाें की ओर से एप्लीकेशन देने के बाद 15 अक्टूबर 2018 काे सर्वे किया। दाे साल बाद भी कंपनी ने क्लेम की राशि नहीं दी। कंपनी का कहना है कि कंप्यूटर सिस्टम में सर्वे अपडेट नहीं हुअा। 2019 के क्लेम भी केवाईसी अपडेट न हाेने का बहाना बनाकर हाेल्ड किए हुए हैं।
उपायुक्त डाॅ. प्रियंका साेनी और कंपनी काे ई-मेल के माध्यम से किसानाें की केवाईसी अपडेट हाेने की सूचना दे दी गई थी। कंपनी की ओर 15 दिन बाद भी काेई जवाब नहीं आया। -दीपक माेर एमडी, काेऑपेरेटिव बैंक, हिसार
बीमा कंपनी को ई-मेल भेज कर जवाब मांगा गया है कि किसानों की क्लेम क्यों रोका गया है। जल्द ही मामले का निपटारा कराया जाएगा। -बलवंत सहारण डिप्टी डायरेक्टर, एग्रीकल्चर, हिसार
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