हरियाणा के पानीपत जिले के एक व्यक्ति के साथ 17 साल पुराने जानकार ने सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर 7 लाख रुपए की धोखाधड़ी की है। आरोपी ने अपनी पत्नी समेत अन्य साथियों के साथ मिलकर रेलवे में नौकरी लगने के फर्जी दस्तावेज भी पीड़ित को दिए।
पीड़ित ने शिकायत पुलिस को दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। करीब दो साल तक बाद तमाम अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाने के बाद पीड़ित ने मामले की शिकायत गृहमंत्री को दी। गृहमंत्री के आदेश पर पानीपत पुलिस ने 8 नामजद के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
कई सरकारी पदों पर बताईं रिक्तियां
सिटी थाना पुलिस को दी शिकायत में युधिष्ठिर पाराशर ने बताया कि उसकी तहसील कैंप निवासी रविंद्र दहिया के साथ 17 साल से जान पहचान है। जून 2020 को रविंद्र दहिया ने उसके भाई गुलशन से कहा कि उसके पास स्पोर्ट्स कोटे में सरकारी नौकरियों की रिक्तियां मौजूद है। वह उसके भाई युधिष्ठिर को रेलवे में सरकारी नौकरी पर लगवा देगा। लेकिन नौकरी लगवाने में 7 लाख रुपए खर्चा आएगा। रविंद्र के पारिवारिक संबंध होने के कारण गुलशन को उस पर भरोसा हो गया।
नौकरी लगवाने के लिए यूं दिए रुपए
12 जुलाई 2020 को नौकरी के कागजात बनवाने के लिए रविंद्र ने 35 हजार, 17 जुलाई 2020 को 15 हजार रुपए अपने खाते में डिपॉजिट करवा लिए। उसके बाद उसने टोकन तौर पर 4 लाख रुपए की मांग की। गुलशन ने 13 अगस्त 2020 को 2 लाख, 18 अगस्त 2020 को 1 लाख 96 हजार रुपए रविंद्र के खाते में फिर से डिपॉजिट करवा दिए।
ये रुपए लेने के बाद उसने कहा कि अब 95% काम पूरा हो गया है और अब पूरी पेमेंट कर दो। तब उसके बैंक खाते में क्रमश: 19 अगस्त 2020 को 1.47 लाख, 4 नवंबर 2020 को 10 हजार, 8 दिसंबर 2020 को 80 हजार, 9 दिसंबर 2020 को 20 हजार नकद दिए। 5 फरवरी 2021 को 2.50 लाख रुपए नकद दिए।
स्टेशन मास्टर ने कागजात को बताया फर्जी, तो हुआ खुलासा
रुपए लेने के बाद रविंद्र दहिया कहने लगा कि कागजी कार्रवाई में समय लगेगा। उसकी अफसरों के साथ बहुत अच्छी सेटिंग है। कुछ समय बाद रविंद्र दहिया ने युधिष्ठिर को कुछ दस्तावेज और जॉइनिंग लेटर दिया और कहा कि ये ले जाकर पानीपत रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के दफ्तर में रिपोर्ट करो। वह दस्तावेज लेकर स्टेशन मास्टर कार्यालय गया तो स्टेशन मास्टर ने कहा कि यह सब दस्तावेज फर्जी हैं।
यहां इस प्रकार की कोई नौकरी नहीं है, तुम्हारे साथ नौकरी के नाम पर ठगी हुई है। मामले की शिकायत लेकर जब पीड़ित पुलिस के पास गया तो पुलिस ने 10 महीनों तक थाने के चक्कर कटवाए। आरोपी रविंद्र दहिया, उसकी पत्नी रेखा रानी रमीज राजा (मध्यप्रदेश), गौतम कुमार (दिल्ली) प्रभजोत सिंह (अंबाला), जितेंद्र सिंह (कुरुक्षेत्र), अविनाश (करनाल) और प्रवीण जांगडा (करनाल) को एक बार भी शामिल जांच नहीं किया गया।
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