गणेश महोत्सव का शुभारंभ हो गया है। श्रद्धालु 10 दिनों तक अपने घरों में गजानन को विराजमान करके उनकी पूजा-अर्चना करेंगे। हरियाणा के पानीपत में मुख्य रूप से सेक्टर-25 में गणेश भगवान की मूर्तियों का पंडाल लगाया जाता है। यहां राजस्थानी परिवार अपने प्रदेश की ही चाक मिट्टी से मूर्ति तैयार करते हैं।
राजस्थान के जोधपुर निवासी प्रकाश ने बताया कि उनके 4 परिवारों के 25 लोग मूर्ति बनाने में लगे हैं। 7 फीट तक की गणेश भगवान की मूर्ति की मांग है। हालांकि बड़ी मूर्तियों को ऑर्डर पर ही तैयार करते हैं। अभी तक 30 प्रतिशत श्रद्धालु ही प्रतिमा लेने पहुंचे। उम्मीद है शुक्रवार और शनिवार को काम अच्छा रहेगा।
दाम नहीं, मूर्ति के बदले लिया जाता है शगुन
भगवान गणेश की मूर्ति के लिए कारीगर न दाम लेते हैं और न ही श्रद्धालु मूर्ति का मोल-भाव करते हैं। श्रद्धालु अपनी इच्छा से मूर्ति का चयन करता है और अपनी इच्छा से ही उस मूर्ति का शगुन दे जाता है। प्रकाश ने बताया कि मूर्ति के लिए वह कभी मोल-भाव नहीं करते हैं। पैसे कम लगने पर प्रसाद के रूप में और शगुन मांग लेते हैं।
बीते वर्ष से अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे
प्रकाश ने बताया कि बीते वर्ष कोरोना काल के कारण गणेश महोत्सव ज्यादा अच्छा नहीं रहा था। पानीपत में रहने वाले राजस्थानी परिवारों को गणेश महोत्सव का बेसब्री से इंतजार रहता है। उनके पूरे साल की कमाई इसी समय होती है। गणेश महोत्सव के बाद मजदूरी करके परिवार पालते हैं।
दो साल से गणेश जी को ले जा रहे हैं घर
देव कॉलोनी के मनोज कुमार परिवार के साथ सुबह-सुबह गजानन को लेने सेक्टर-25 पहुंचे। उन्होंने बताया कि बीते दो साल से वह गणेश जी को अपने घर में विराजमान कर रहे हैं। अगले 10 दिन तक पूरा परिवार गणेश जी की पूजा-अर्चना करेगा।
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