पानीपत अस्पताल में रेबीज इंजेक्शन घोटाला:शिकायतकर्ता के लिए नहीं लिए बयान; डॉक्टरों की कमेटी ने आरोपियों को दे दी क्लीन चिट

पानीपत6 महीने पहले
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हरियाणा के पानीपत के सिविल अस्पताल की रेबीज विंग पर ‌भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। शिकायतकर्ता ने कर्मचारियों की PMO को शिकायत देते हुए उन पर 100 रुपए लेकर बिना रसीद दिए इंजेक्शन लगाया और पैसे अपनी जेब में डाल लिए थे। कर्मचारियों ने ऐसा चार - पांच मरीजों के साथ किया था।

आरोप था कि कर्मचारी सरकार को चूना लगा रहे हैं। रेबीज इंजेक्शन की फीस सरकार के खाते में जमा न कराकर अपनी जेब में डाला जा रहा है। दूसरा आरोप ये भी था कि एक कर्मचारी ने उससे 200 रुपए लेकर बिना लाइन में लगे उसको सीधा डॉ. से मिलवा दिया था।

जांच में कमेटी ने इस आरोप को भी झूठा माना है। ढाई माह चली मामले की जांच के बाद तीन डॉक्टरों की कमेटी ने आरोपी कर्मचारियों को क्लीन चिट दे दी है। कमेटी ने शिकायकर्ता के आरोपों को झूठा माना है, वहीं दूसरी ओर शिकायकर्ता ने कमेटी पर गलत जांच करने आरोप लगाए हैं।

शिकायतकर्ता का कहना है कि उसके बयान लिए बिना और सभी सबूतों को दरकिनार कर कर्मचारियों को बचाया गया है। जबकि उसके पास पर्याप्त सबूत हैं। अब वह मामले की शिकायत गृहमंत्री अनिल विज को करेगा।

ये है मामला
आरके पूरम निवासी रोहित बल्हारा का आरोप है कि वो 29 अगस्त को बीमार था और उसके भांजे को कुत्ते ने काटा था। वह भांजे को लेकर सिविल अस्पताल में रेबीज का इंजेक्शन लगवाने आया था। उस दिन अस्पताल में बहुत भीड़ थी। वो यहां घूम रहा था।

उसको एक युवक मिला। उसने कहा कि अगर डॉक्टर से जल्द इलाज कराना है तो 200 रुपए देने होंगे। उसने 200 रुपए दिए तो वो बिना लाइन के ही उसे डॉक्टर के रूम में ले गया और जल्द जल्द डॉक्टरों से इलाज करवा दिया। फिर वो भांजे को रेबीज का इंजेक्शन लगवाने 18 नंबर कमरे में गया। यहां एक कर्मचारी ने भांजे को इंजेक्शन लगाया और 100 रुपए लेकर अपनी जेब में डाले लिए। जब उन्होंने स्लिप मांगी तो उन्होंने कहा कि आपका काम हो गया है आप जाओ स्लिप नहीं मिलेगी।

उसके सामने ऐसे ही पांच- छह मरीजों को बिना स्लिप दिए इंजेक्शन लगाए गए हैं। ऐसे ही एक अगस्त, पांच अगस्त व नौ अगस्त को बिना स्लिप दिए पैसे लेकर भांजे को इंजेक्शन लगे।

जांच निष्पक्ष हुई है: डॉ. श्यामलाल
सिविल अस्पताल के SMO एवं कमेटी अध्यक्ष डॉ. श्यामलाल का कहना है कि जो भी शिकायतकर्ता के आरोप थे, उन पर निष्पक्ष जांच की गई है। जांच में ये आरोप झूठे साबित हुए हैं। जिस कर्मचारी पर आरोप लगाया गया, उसकी ड्यूटी रेबीज विंग में है ही नहीं।