स्वास्थ्य विभाग में हाल-ए-सरकारी नौकरी:5 साल में पानीपत को मिले 40 सरकारी डॉक्टर, टिके सिर्फ 12; PG के दाखिले में खत्म कोटा बना कारण

पानीपतएक वर्ष पहले
  • कॉपी लिंक
पानीपत सिविल अस्पताल, जहां डॉक्टर टिकते ही नहीं हैं। - Dainik Bhaskar
पानीपत सिविल अस्पताल, जहां डॉक्टर टिकते ही नहीं हैं।

हरियाणा के पानीपत जिले को पिछले 5 साल में 40 डॉक्टर मिले, लेकिन इनमें से महज 12 ही टिक सके। बाकी में से 12 डॉक्टरों ने तो जॉइन ही नहीं किया, जबकि 16 डॉक्टर जॉइन करने के बाद बगैर वेतन के छुट्टी पर चले गए। स्वास्थ्य विभाग संसाधन तो बढ़ा रहा है, लेकिन डॉक्टर नहीं जुटा पा रहा। इसका बड़ा कारण पीजी के दाखिले में सरकारी डॉक्टरों का कोटा खत्म होना माना जा रहा है। पानीपत के 24 स्वास्थ्य केंद्रों में 140 डॉक्टरों के स्वीकृत पद हैं। इनमें से 56 पद खाली पड़े हैं।

जिले में महज 84 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं। पिछले चार वर्ष से जिले में फिजिशियन नहीं है। प्रदेश की बात करें तो बीते 5 वर्ष में सरकार ने 4 बार डॉक्टरों की भर्ती निकाली है। 980 मेडिकल ऑफिसर की भर्ती अभी भी चल रही है। 1050 पदों की भर्ती में से 350 डॉक्टरों ने चुने जाने के बावजूद सरकारी अस्पताल जॉइन नहीं किया। इन्हें कई बार नोटिस भी जारी किए गए, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा। डॉक्टरों ने सरकारी नौकरी से दूरी बना ली। बाद में इन्हें निलंबित कर दिया गया।

24 स्वास्थ्य केंद्रों पर 140 पद स्वीकृत

जिले के 24 स्वास्थ्य केंद्रों पर कुल डॉक्टरों के 140 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 84 भरे गए और 56 चिकित्सकों की नियुक्ति का इंतजार है। अब 200 बेड के सिविल अस्पताल में 55 पद स्वीकृत हैं, जबकि 85 से अधिक पद होने चाहिएं। फिलहाल के लिए स्वीकृत पदों में से भी 17 रिक्त चल रहे हैं। प्रशासनिक ड्यूटी, दूसरे स्थानों पर ड्यूटी, मैटरनिटी लीव, चाइल्ड केयर लीव सहित तमाम तरह के अवकाश के कारण अस्पताल में एक समय में मात्र 14-15 चिकित्सक ही होते हैं। सीएचसी-पीएचसी, शहरी स्वास्थ्य केंद्रों, सब सेंटर पर 85 चिकित्सकों के पद हैं, जिनमें से 39 पद रिक्त हैं।

14 लाख की आबादी, कान-नाक गले का एक डॉक्टर

जिले के 24 स्वास्थ्य केंद्रों में महज 2 आई सर्जन और 2 बाल रोग विशेषज्ञ हैं। 14 लाख की आबादी वाले पानीपत में कान, नाक गले का एक ही डॉक्टर है। यह भी सिविल अस्पताल में कार्यरत हैं। किसी भी स्वास्थ्य केंद्र पर आई सर्जन, बाल रोग विशेषज्ञ व ईएनटी नहीं हैं। जिले के दूर दराज के रोगियों को इलाज के लिए सिविल अस्पताल में ही आना पड़ता है। जिले के सब सेंटरों की स्थिति बेहद खराब है। जिले में कई पीएचसी तो ऐसी हैं, जहां डॉक्टरों को पानी पिलाने वाला कोई नहीं है। डॉक्टरों को खुद ही जाकर सब सेंटर के ताले खोलने एवं बंद करने पड़ते हैं। क्लर्क का काम भी खुद ही करना पड़ता है।

स्वास्थ्य केंद्र... स्वीकृत पद... रिक्त पद
सिविल अस्पताल... 55... 17
समालखा अस्पताल... 11... 06
पीएचसी पट्टी कल्याणा... 02... 00
पीएचसी आट्टा... 02... 00
सीएचसी नारायणा... 07... 05
सीएचसी अहर... 03... 02
पीएचसी सींक... 02... 01
पीएचसी रेरकलां... 02... 00
सीएचसी नौल्था... 07... 04
पीएचसी मांडी... 02... 01
पीएचसी इसराना... 02... 00
सीएचसी मतलौडा... 07... 05
पीएचसी कवी... 02... 01
सीएचसी बापौली... 06... 04
पीएचसी उझा... 02... 00
पीएचसी उग्राखेड़ी... 02... 00
पीएचसी सिवाह... 02... 00
सीएचसी खोतपुरा... 07... 03
पीएचसी चुलकाना... 02... 00
पीएचसी काबड़ी... 02... 00
पीएचसी बराना... 02... 02
सीएचसी ददलाना... 07... 03
यूएचसी सेक्टर 11/12... 02... 01
यूएचसी सेक्टर 25... 02... 01

खबरें और भी हैं...