हरियाणा के पानीपत जिले में बबैल रोड से गत 21 मई की दोपहर 2 बजे किडनैप किए गए दुकानदार नीरज को पुलिस ने मुठभेड़ के बाद बदमाशों के चंगुल से छुड़वा लिया। नीरज सोमवार की शाम अपने घर पहुंचा तो मां ने उसे गले से लगाया और उसे अपने सीने से लिपटाए रखा। घर पर बड़ी बहन भी आई हुई थी। बहन के अलावा रिश्तेदार, पड़ोसी समेत मिलने वालों का तांता लगा था।
मां के हाथ से जूस पीकर नीरज ने राहत की सांस ली और अपनों के पास जिंदा लौटने के बाद नीरज पुनर्जन्म होना महसूस कर रहा था। नीरज बोला कि उसने दो दिन मौत को बहुत करीब से देखा है। बदमाश उसकी हत्या करने पर उतारू थे। उनकी प्लानिंग रुपए मिलने और न मिलने पर, दोनों ही स्थिति में उसे जान से मारने की थी। यह सोचकर वह पल-पल एक मौत मर रहा था।
21 मई को हरियाणा, दिल्ली और यूपी के कई जिलों में ले गए
मैं रोजाना की तरह दोपहर करीब 2 बजे खाना खाने घर जा रहा था। मेरे सामने से एक सफेद गाड़ी आई। मैंने उन्हें रास्ता देने के लिए अपनी बाइक को कुछ साइड में किया, मगर जैसे ही वह मेरे नजदीक पहुंचे तो उन्होंने गाड़ी को बिल्कुल धीमा कर लिया। गाड़ी रूकी और उनमें से एक लड़का खिड़की खोलकर नीचे उतरा। उसने मुझे चाकू की नोक पर गाड़ी के भीतर धकेलना चाहा। मैं अंदर नहीं घुसा तो एकाएक तीन युवक और नीचे उतरे और उनमें से एक युवक ने मुझे गन पॉइंट पर ले लिया।
तीनों ने मारपीट करते हुए मुझे गाड़ी के भीतर धकेल दिया। इसके बाद वे गाड़ी को तेज गति से दौड़ाते हुए गांव बबैल की ओर ले गए। चलती गाड़ी में ही उन्होंने मुझे गाड़ी की डिग्गी में डाल दिया। मेरे साथ मारपीट करते रहे। गाली गलौज करते रहे और एक बदमाश डिग्गी में मेरे ही उपर बैठ गया। मेरे हाथ पीछे की ओर टाई बेल्ट से बांध दिए गए। मेरे मुंह पर परना बांध दिया। मुझे वहां से बबैल गांव के रास्ते गांव झांबा, समालखा, सोनीपत से होते हुए दिल्ली ले गए। वहां ले जाने के बाद वापस हरियाणा की ओर आए।
यहां सोनीपत से उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर लिया। दोपहर से रात हो गई। रात को एक सुनसान खेतों में ले गए। वहां फिर मारपीट की और कहा कि तू इतनी दूर है कि यहां चीखेगा भी तो किसी को आवाज सुनाई नहीं देगी। बदमाश कहीं से खाना ले कर आए। उन्होंने मुझे भी एक रोटी और दो चम्मच दाल दी। मगर मेरे गले से एक निवाला पेट तक नहीं गया। मैंने खाना नहीं खाया। बदमाशों ने खाना खाया और कहा कि आज की रात यहीं काटनी है। खुले खेत में ही सभी जमीन पर लेट गए और सो गए। मगर वे सोने के दौरान भी मुझ पर निगरानी रखे हुए थे। मेरे हाथ-पैर बांधे रखे।
22 मई की शाम बनाई 80 लाख फिरौती की प्लानिंग
अगली सुबह करीब 5 बजे उन्होंने उठा दिया और मुझे गाड़ी में डालकर चल पड़े। पूरा दिन गाड़ी इधर-उधर घूमाते रहे। दिन में बदमाशों ने खाना खाया, मगर मुझे पानी तक नहीं दिया। गाड़ी का तेल खत्म हुआ तो उन्होंने मेरे कपड़ों की तलाशी ली। मेरी जेब से कुल 10 रुपए निकले। यह देख उन्होंने मेरे साथ मारपीट की और बोले कि तू तो एक बीड़ी खरीदने तक के रुपए नहीं ले रहा। एक बदमाश ने अपने पास सुरक्षित रखे हुए 3500 रुपए अपनी जेब से यह कहते हुए निकाले कि उसने इन पैसों को इमरजेंसी के लिए रखा था।
तेल डलवाने के बाद गाड़ी फिर से चल पड़ी। पांचों बदमाशों में से एक को ही गाड़ी चलानी आती थी। दिन ढलने के बाद के बाद बदमाशों ने 80 लाख की फिरौती की प्लानिंग बनाई। बदमाशों ने यूपी में एक राहगीर का मोबाइल फोन छीना और उससे मेरे भाई को कॉल करनी चाही। मगर उसमें बैलेंस नहीं था तो उन्होंने फोन गुस्से में पटक कर तोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने कुछ दूरी पर फिर एक और मोबाइल फोन छीना, जिससे भाई आशीष को कॉल कर सिर्फ चंद घंटों का समय देते हुए रुपए मांगे। इसके बाद उन्होंने सिम तोड़कर मोबाइल समेत फेंक दिया। रात को बदमाश पानीपत पहुंच गए। यहां मोहाली से राजाखेड़ी गांव के रास्ते में गाड़ी रोक ली।
23 मई को पुलिस के साथ हुई मुठभेड़
अलसुबह करीब 3 बजे एक बदमाश ने अपने ही फोन से भाई को कॉल करके एक ठिकाने पर 80 लाख लेकर बुलाया। कुछ ही देर बाद मुझे बदमाशों के मुंह से सुनाई दिया कि यहां तो पुलिस आ गई है। इसी बीच बदमाशों ने रणनीति बनाई कि पुलिस पर गोलियां चलानी है। उन्होंने पुलिस पर फायर किया। मुझे सिर्फ गोलियां चलने की आवाज सुनाई देने लगी। पुलिस ने भी फायर किए। दो बदमाशों के पैरों में गोलियां लगी। इसके बाद मैं पहले पुलिस के हाथों में आया और फिर अपने के हाथों में पहुंचा तो पुनर्जन्म का अहसास हुआ।
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