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इसराना में साेमवार काे निजी लैब द्वारा सिविल सर्जन की बिना परमिशन से स्वास्थ्य जांच शिविर लगाया जा रहा था। सिविल सर्जन ने सूचना मिलने पर इसराना ब्लाॅक इंचार्ज डाॅ. रिंकू और डाॅ. ललित काे इसे रुकवाने के लिए भेजा। टीम ने वहां जाकर परमिशन के बारे में पूछा ताे संचालक ने कहा कि मैंने परमिशन नहीं ली थी। इसके बाद टीम ने रक्तदान शिविर काे रुकवा दिया।
डाॅ. ललित कुंडू ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग जब तक पहुंची थी, तब तक रक्त यूनिट लेने के लिए फरीदाबाद से आई चेरिटेबल संस्था की टीम 8 यूनिट ले चुकी थी। उनसे 8 यूनिट रक्त जब्त कर लिया है। वाे 8 यूनिट रक्त रेडक्राॅस साेसायटी काे साैंप दिया गया है। चौ. जोरावर सिंह घनघस चेरिटेबल लैबोरेंट्री द्वारा इसराना में साेमवार काे रक्तदान शिविर लगा रहा था।
इसके लिए फरीदाबाद से डिवाइन चेरिटेबल ब्लड सैंटर की टीम बुलाई गई थी। सीएमओ डॉ संतलाल वर्मा द्वारा दूसरे जिलों व राज्यों से आई संस्थाओं द्वारा रक्तदान शिविर लगाने के परमिशन लेने के आदेश जारी किए हैं। उक्त रक्तदान शिविर के लिए कोई परमिशन ना होने के कारण रक्तदान शिविर रोक दिया गया। लेबोरेट्री के संचालक ने बताया कि रक्तदान शिविर लगवाने के लिए हमने सीएमओ पानीपत से परमिशन नहीं ली थी।
कार्रवाई के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रक्त जब्त कर रेडक्राॅस साेसायटी काे साैंपा, संचालक बाेला- जल्द ही सीएमओ से लेंगे परमिशन
एक्सपर्ट व्यू : इससे रक्तदान देने वालों का उत्साह हाेगा कम
करनाल के ब्लड इंचार्ज डाॅ. संजय ने बताया कि बिना परमिशन के कैंप लगाकर जिले की रक्त यूनिट काे बाहर ले जाया जा रहा है। अगर ऐसे ही हाेता रहा ताे जिले में रक्त की कमी की नाैबत अा सकती है। साथ ही अगर रक्तदाता के दिए गए ब्लड का गलत इस्तेमाल किया जाएगा ताे उनमें उत्साह कम हाेगा। हमारी काेशिश ये हाेनी चाहिए कि जाे रक्त मिल रहा है वाे जरूरतमंद काे मिले।
कार्रवाई के लिए लिखा है पत्र
सीएमओ डाॅ. संतलाल वर्मा ने बताया कि कार्रवाई के लिए ब्लड काउंसिल हरियाणा काे लिख दिया गया है। फिलहाल तीन जगहाें की डिटेल ऊपर भेजी गई हैं। अब जैसे-जैसे और जानकारी हमारे पास आती रहेगी आएगी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अपनाई जाएगी।
रोगी के लिए घातक है ऐसा ब्लड : क्योंकि खून चढ़ाने से पहले 7 तरह की हाेती हैं जांच
एक यूनिट खून में 350 एमएल की मात्रा होती है। खून में चार कम्पोनेंट होते हैं- प्लाज्मा, प्लेटलेटस, रेड ब्लड सेल्स एवं व्हाइट ब्लड सेल्स। प्लाज्मा खून में थक्का जमाने का काम करता है, प्लेटलेट्स से रक्तस्त्राव को नियंत्रित किया जाता है, रेड ब्लड सेल्स हीमोग्लोबिन को नियंत्रित करता है और व्हाइट ब्लड सेल्स शरीर के सुरक्षा तंत्र को नियंत्रित करती हैं।
किसी भी रोगी के शरीर में खून चढ़ाने से पहले सात तरह की जांच जरूरी होती है। इसमें ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन, हेपेटाइटिस बी एवं सी, मलेरिया, वीडीआरएल, एचआईवी एवं ब्लड ग्रुप की जांच शामिल है, लेकिन अमान्य रूप से लगाए जाने वाले रक्त शिविर में ऐसा देखने को नहीं मिलता, जोकि ब्लड देने वाले और ब्लड जिस मरीज को चढ़ना है, दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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