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सरकारी स्कूल, जो प्राइवेट स्कूल को दे रहा मात:12वीं तक के स्कूल में 7 कक्षाएं डिजिटल, 2700 विद्यार्थी और 97 शिक्षक, एडमिशन के लिए पास करना पड़ता है टेस्ट, यहां से पढ़कर कमिश्नर तक बने

पानीपत2 वर्ष पहले
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हरियाणा के पानीपत जिले के ग्रामीण आंचल में एक सरकारी स्कूल ऐसा है, जो शहर के प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है। प्रिंसिपल और टीचर ने सरकारी स्कूल की परिभाषा ही बदल दी है। 12वीं तक के इस स्कूल में 7 कक्षाएं डिजिटल हैं। 2 हजार किताबों की लाइब्रेरी है। पीने के लिए RO का पानी उपलब्ध है। स्कूल की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 16 CCTV कैमरे लगे हुए हैं। बीते चार साल से हर क्लास का रिजल्ट 100 प्रतिशत रहता है।स्कूल में एडमिशन लेने के लिए बच्चों को टेस्ट से गुजरना पड़ता है। इस साल शिक्षक दिवस पर स्कूल के 31 शिक्षकों को सम्मानित किया गया है।

सरकारी स्कूल का नाम लेते ही लोगों के दिमाग में टूटी-फूटी बिल्डिंग, बैठने के लिए चटाई, टूटा ब्लैक बोर्ड, गंदे बाथरूम, पीने के लिए नल का पानी, अलग-अलग ड्रेस में बच्चे, किताबों का अभाव और अन्य चीजें जेहन में आती हैं, लेकिन पानीपत के गांव काबड़ी का सीनियर सेकेंडरी स्कूल इस सोच को बदल रहा है।

अब तक आपने प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के लिए टेस्ट की बात सुनी होगी। जबकि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार प्रभात फेरी और प्रचार-प्रसार कराने के आदेश देती है। लेकिन पानीपत के गांव काबड़ी स्थित सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में प्रवेश के लिए बच्चों को टेस्ट देना पड़ता है।

ऐसा इसलिए क्योंकि गांव का यह स्कूल शिक्षा और सुविधा के मामले में शहर के अच्छे-अच्छे प्राइवेट स्कूलों को मात देता है। 12वीं तक के इस स्कूल की हर कक्षा के 5-5 सेक्शन हैं। स्कूल में बच्चों की संख्या 2700 है। यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या भी 97 है, जो जिले के किसी भी स्कूल के शिक्षकों की संख्या से अधिक है।

प्रिंसिपल रणबीर जागलान के साथ कमिश्नर राजबीर सिंह।
प्रिंसिपल रणबीर जागलान के साथ कमिश्नर राजबीर सिंह।

काबड़ी के सरकारी स्कूल से पढ़कर अब हैं दिल्ली के इनकम टैक्स कमिश्नर
काबड़ी के सरकारी स्कूल से कई अधिकारी निकले हैं। गांव के ही महाबीर सिंह ने सरकारी स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई की। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले महाबीर सिंह आज दिल्ली में इनकम टैक्स कमिश्नर हैं। स्कूल की ओर से कई मौके पर उन्हें आमंत्रित करके बच्चों को प्रोत्साहित कराया जाता है। इनके अलावा भी विद्यार्थी काबड़ी के सरकारी स्कूल में पढ़ने के बाद प्रतिष्ठित पदों काबिज हुए हैं।

2017 के बाद बदली स्कूल की तस्वीर
वर्ष 2017 में रणबीर जागलान ने स्कूल के प्रिंसिपल के रूप में चार्ज लिया। तब से अब तक स्कूल को केवल 1.5 लाख रुपए की सरकारी ग्रांट प्राप्त हुई। स्कूल शिक्षक संजीव शास्त्री के सहयोग से बीते 4 साल में करीब 1.5 करोड़ रुपए के विकास कार्य कराए गए। जिसकी बदौलत स्कूल में सुविधाएं बढ़ीं और बच्चों के साथ अभिभावकों का भी स्कूल में विश्वास बढ़ा है।

24 घंटे लाइट की सुविधा
सरकारी स्कूलों में बिजली व्यवस्था की किल्लत होती है। जहां बिजली है भी, वहां पंखे और लाइट की व्यवस्था कम ही देखने को मिलती है, लेकिन काबड़ी स्कूल में बिजली के जरूरी उपकरणों के साथ 24 घंटे बिजली की व्यवस्था है। यहां रिफाइनरी की ओर से 2 सोलर ऊर्जा सिस्टम लगाए गए हैं, ताकि बच्चों को गर्मी और अंधेरे की परेशानी से बचाया जा सके।

निगरानी के लिए लगे हैं 16 CCTV कैमरे
स्कूलों में छोटे बच्चों के साथ गलत व्यवहार होने की घटनाओं के चलते CCTV कैमरों की मांग की जाती है। इसलिए प्राइवेट स्कूलों ने CCTV कैमरों की व्यवस्था की, लेकिन सरकारी स्कूलों में अभी CCTV कैमरों की कल्पना करना मुश्किल है। काबड़ी के सरकारी स्कूल में 16 CCTV कैमरे लगे हैं।

स्कूल प्रिंसिपल रणबीर जागलान।
स्कूल प्रिंसिपल रणबीर जागलान।

हर क्लास का 100 प्रतिशत रहता है रिजल्ट
संभवत यह देश का पहला सरकारी स्कूल है, जहां टेस्ट के बाद बच्चों का एडमिशन होता है। यही कारण है कि इस स्कूल की हर क्लास का रिजल्ट हर वर्ष 100 प्रतिशत रहता है। गांव के साथ स्कूल में शहर के बच्चे भी पढ़ने के लिए आते हैं।

शिक्षक दिवस पर 31 शिक्षकों को मिला सम्मान
प्रिंसिपल रणबीर जागलान ने बताया कि स्कूल का रिजल्ट शत-प्रतिशत रहने और शिक्षा के साथ अन्य गतिविधियों में भी बच्चों के अव्वल आने पर शिक्षक दिवस पर जिला प्रशासन की ओर से स्कूल के 31 शिक्षकों को सम्मानित किया गया है।

कक्षा 6 के बाद है अंग्रेजी मीडिया का विकल्प
काबड़ी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा 6 के बाद अंग्रेजी मीडियम से पढ़ने का भी विकल्प है। कक्षा 5 तक हिंदी मीडियम से पढ़ाई कराई जाती है। इसके बाद बच्चे अपनी इच्छा अनुसार अंग्रेजी मीडियम से भी पढ़ाई कर सकते हैं। इसके अलावा ब्यूटी वेलनेस जैसे सब्जेक्ट को पढ़ाने के लिए वोकेशनल टीचर रखे हुए हैं।

स्कूल के टाइम से पहले और बाद में लगती है एक्स्ट्रा क्लास
कमजोर बच्चों को अधिक समय देने के लिए प्राइवेट स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लास लगाई जाती है। सरकारी स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लास कम ही देखने को मिलती है, लेकिन काबड़ी के सरकारी स्कूल में स्कूल टाइम से पहले और बाद में बच्चों को अतिरिक्त समय दिया जाता है। ताकि बच्चों को ट्यूशन की जरूरत न पड़े। शिक्षक संदीप गोयल, कर्मसिंह, विकास, संदीप, अश्वनी, संजीव कुमार शास्त्री समेत अन्य शिक्षक बच्चों को अतिरिक्त समय देकर पढ़ाते हैं।