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जमीन विवाद को लेकर बड़ा भाई इतना गिर गया कि उसने पड़ोसी पुलिसकर्मी के साथ मिलकर छोटे भाई को मर्डर, डकैती, चोरी व रेप केस में फंसाने की कोशिश की। 6 माह में डाक से 7 जिलों की पुलिस को 8 फर्जी पत्र भेजकर भाई व उसके परिवार को 7 मर्डर व एक डकैती के केस में शामिल बताया।
कभी सीआईए तो कभी पुलिस ने घर पर दबिश देने लगी। परिवार को पूछताछ के लिए थाने में बुलाया गया। घंटों पूछताछ और पुलिस के तीखी सवालों से 6 माह में परिवार परेशान हो गया। पुलिस कभी गिरफ्तार करने तो कभी जेल में सड़ने की धमकी देती थी। परिवार ने अपने लेवल पर जांच की तो पुलिस भेजी डाक में लिखे नाम पते फर्जी मिले।
पीड़ित की बेटी वकील है। वह शिकायतें लेकर डीजीपी के पास पहुंच गई। डीजीपी की दखल के बाद पुलिस ने परेशान करना बंद कर दिया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। तब उसने कोर्ट में इस्तेगासा दायर किया। कोर्ट के आदेश पर किला थाना पुलिस ने राजीव कॉलोनी निवासी कृष्णलाल पुत्र शिवदत्त, उसके बेटे पंकज, पंकज की पत्नी रजनी और पुलिसकर्मी बबैल रोड शिव नगर निवासी राजबीर पुत्र मांगेराम पर 8 धाराओं में केस दर्ज किया है।
शिव नगर के अशोक कुमार ने बताया कि उनकी करनाल के गांव रायसन में कृषि भूमि और पानीपत में प्लॉट को लेकर भाई कृष्णलाल से विवाद चल रहा है। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। एक साल पहले कुत्ते को लेकर उनका पड़ोसी राजबीर से विवाद हो गया।
राजबीर मधुबन में पुलिस विभाग में अकाउंटेंट है। राजबीर ने मारपीट की, जिसकी उन्होंने पुलिस में शिकायत की थी। तब से राजबीर उनके भाई के साथ मिलकर उन्हें परेशान करने लगा। अारोप है कि पानीपत और आसपास एरिया में ब्लाइंड मर्डर, डकैती होने पर आरोपी उनके बेटे और पत्नी का नाम, पता व मोबाइल नंबर लिखकर संबंधित थाने में डाक भेजते थे। डाक में उनपर उस मर्डर का आरोप लगाया जाता था। डाक भेजने वाले का नाम और पता गलत लिखा जाता था।
पुलिस डाक भेजने वाले से पूछताछ के बजाय सीधा उनके घर दबिश देती थी। कई बार पुलिस उनकी बात मानकर विश्वास करती और कई बार थाने ले जाती थी। इन सबसे परेशान होकर वह 5 बार डीजीपी के सामने पेश हुए। डीजीपी की सख्ती के बाद राजबीर का मधुबन दफ्तर से ट्रांसफर किया गया। अब कोर्ट के आदेश पर आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
डाक की जांच नहीं करती थी पुलिस, 9 माह तक जुटाए सबूत
अशोक कुमार की एडवोकेट बेटी शालू शर्मा ने एक साल तक पानीपत कोर्ट में प्रैक्टिस की है। अब दिल्ली में जज की तैयारी कर रही हैं। उनके साथ एडवोकेट गोविंद सिंह ने इस मामले में पैरवी की है। करीब नौ महीने सुबूत जुटाने के बाद अब आरोपियों पर केस दर्ज हो पाया है। प्रदेश के अलग-अलग थानों में भेजी गई हर डाक पर फर्जी नाम और एड्रेस होते थे, लेकिन पुलिस भेजने वालों पर कार्रवाई नहीं करती थी। पुलिस अफसरों से गुहार लगाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई।
मार्च 2020 में रेप की दी थी झूठी शिकायत : बेटी शालू ने बताया कि मार्च 2020 में रेप की डाक के जरिए पुलिस को शिकायत भेजी गई। किला पुलिस ने उनको बुलाया, लेकिन शिकायतकर्ता नहीं मिला। जांच के बाद शिकायत बंद हो गई। कुरुक्षेत्र के पेहवा थाना, समालखा थाना, रेवाड़ी के खोल थाना, कैथल के सिविल लाइन थाना में दर्ज हत्या के केस में भी पुलिस को फर्जी डाक भेजकर पिता व परिवार को शामिल बताया।
मां चल भी नहीं पाती, उसे मर्डर में शामिल बता दिया
शालू ने कहा कि मां बीमार हैं और चलने में दिक्कत है। उसको भी मर्डर में शामिल बता दिया। 18 जनवरी को सिरसा के चोपटा थाना से फोन आया कि पानीपत की अरुणा देवी ने पिता, मां व भाई के खिलाफ शिकायत दी है। डीएसपी के पास आना पड़ेगा। शिकायत के बारे में पूछा तो नहीं बताया। परिवार ने कई बार पंचायत की, लेकिन आरोपी पंचायत में भी नहीं आते।
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