लॉकडाउन में हवा तो शुद्ध हुई ही, यमुना नदी भी निर्मल हो गई। शायद यह पहला मौका है जब यमुना का पानी इतना साफ हुआ है कि अब लोग सीधे पीने से भी नहीं कतरा रहे हैं। टीडीएस में 50 फीसदी साफ हुआ है। यमुना नदी में बीओडी (बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर कम होने से जलीय जंतुओं के लिए यमुना में सांस लेना आसान हो गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) को लॉकडाउन के दौरान यमुना नदी और शहर से गुजरने वाली ड्रेन-1 और ड्रेन-2 के पानी की क्वालिटी जांच करने का आदेश दिया था। दोनों ड्रेन मिलकर यमुना में गिरती है। लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियां बंद थी। इंडस्ट्री का केमिकल युक्त पानी ड्रेन में बहाया जा रहा, जो यमुना में मिलता है। इसलिए, सीपीसीबी ने लॉकडाउन के दौरान ड्रेन और यमुना के पानी की क्वालिटी जांच करने का आदेश दिया ताकि इससे पानी की क्वालिटी का स्टैंडर्ड तय हो सके।
ड्रेन-1, 2 का बीओडी भी मापा, अब अगर बढ़ा तो उद्यमियों पर कसेगा शिकंजा
ड्रेन में 8 और यमुना में एक जगह लिए सैंपल
गांजबड़ से लेकर यमुना में मिलने ते 7 जगहों पर ड्रेन-2 के सैंपल लिए गए। इसी तरह से शहर से गुजरने वाली ड्रेन-1 से भी एक जगह सैंपल लिए गए। इसके बाद ड्रेन मिलने के बाद यमुना के पानी का सैंपल लिया।
ड्रेन-2 के मिलने के बाद जांचा बीओडी
नदियों में आर्गेनिक वेस्ट और सीवेज मिलने से बीओडी (बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर बढ़ता है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यमुना नदी में ड्रेन-2 के मिलने के बाद बीआेडी की जांच की। यह जांच दो लेवल पर थी। पहली कि लॉकडाउन से पहले बीओडी की मात्रा यमुना में क्या थी और दूसरी- लॉकडाउन के दौरान यमुना में बीओडी की मात्रा क्या रही।
टीडीएस 288 मिलीग्राम से 372 पर आया
जांच में पता चला कि लॉकडाउन से पहले जहां टीडीएस की मात्रा 288 मिलीग्राम प्रति लीटर से 372 मिलीग्राम प्रति लीटर थी। लॉकडाउन के दौरान टीडीएस की मात्रा कम होकर 190 मिलीग्राम प्रति लीटर तक हो गई। इस तरह से टीडीएस में 50 फीसदी का सुधार हुआ है।
कहां लॉकडाउन से पहले लॉकडाउन के दौरान
बीओडी टीडीएस बीओडी टीडीएस 1. यमुना नदी खोजकीपुर के पास ड्रेन-2 के मिलने के बाद 2.8 372 1 190 कहां लॉकडाउन से लॉकडाउन के पहले बीओडी दौरान बीओडी ड्रेन-1 नजदीक सिवाह 100 85 ड्रेन-2 नजदीक डाडोला 22 4.5 ड्रेन-2, यमुना में मिलने से पहले 40 24 ड्रेन-2, शिमला गुजरान के पास 60 26
तय हुआ ड्रेन के पानी का स्टैंडर्ड
लॉकडाउन के दौरान ड्रेन-1 और ड्रेन-2 के पानी की क्वालिटी का पता भी चल गया है। जांच से साबित हो गया कि उद्यमी दोनों ड्रेन में केमिकल युक्त पानी बहाते हैं। अब, अगर फिर से दोनों ड्रेन के पानी की क्वालिटी खराब होगी तो बोर्ड के अफसरों के साथ ही उद्यमी भी फंसेंगे।
लॉकडाउन के दौरान कम हुई बीओडी
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरओ एसके अरोड़ा ने बताया कि ड्रेन हो या यमुना, बीओडी की मात्रा कम हुई है। जिससे यमुना के पानी की क्वालिटी बेहतर हुई। बीओडी की मात्रा 1 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गई। इससे मछलियां और अन्य जलीय जंतु खुलकर सांस ले सकते हैं।
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