कोरोना महामारी की मार झेल रहा बहादुरगढ़ का उद्योग एक बार फिर संकट में आ गया है। उद्योगों में काम करने वाले कर्मचारी और मजदूर काफी संख्या में दिल्ली से आते हैं। टिकरी बॉर्डर बंद होने की वजह से 50 प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे। एचएसआईआईडीसी के उद्यमियों का कहना है कि उनके यहां भी कर्मचारियों एवं अधिकारियों की उपस्थिति रोजाना की अपेक्षा काफी कम रही।
दिल्ली क्षेत्र से आने वाले अधिकतर कर्मचारियों ने छुट्टी ली हुई है, लेकिन फैक्ट्रियों के संचालकों का कहना है कि सभी का वेतन तो देना ही होगा। एमआई फेज दो के फैक्ट्री संचालक उमेश गुप्ता का कहना है कि उनके यहां काम करने वाले लगभग 80 प्रतिशत लोग दिल्ली से आते हैं जिसमें से काफी ने सुबह छुट्टी का मैसेज डाला हुआ है। कर्मचारियों में आंदोलन को लेकर डर है। वहीं, कुछ परिवहन की समस्या बता रहे हैं।
टिकरी बॉर्डर बंद होने से उन्हें कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा। उद्यमी नरेश गुप्ता ने बताया कि मजदूरों को बुलाकर फैक्टरी में बैठा लेते हैं या उनसे साफ-सफाई करा लेते हैं। इस तरह से मजदूरों को खाली बैठने का वेतन दिया जाएगा, जबकि फैक्ट्री नहीं चलने से पहले ही नुकसान हो रहा है।
व्यापारियों ने सामान समय पर न मिलने से ऑर्डर कैंसिल करने शुरू किए
फैक्ट्रियों के संचालकों ने कहा कि एक साल से बहादुरगढ़ की फैक्ट्रियों में ऑर्डर कम हो रहे है। अब पांच दिनों से एक बार फिर से ऑर्डर कैंसिल होने लगे हैं। वहीं आंदोलन कब तक चलेगा, इसका अभी कुछ नहीं पता है। बहादुरगढ़ में जूता, स्टील के बर्तन व अन्य सामान, प्लास्टिक का सामान बनाने, खाद्य पदार्थों, केमिकल, पेंट, गत्ता बनाने, जूते, गारमेंट, ऑटो मोबाइल पार्ट्स, दवाई आदि की फैक्ट्रियां हैं। पिछले पांच दिन से किसानों के आंदोलन का सबसे ज्यादा असर बहादुरगढ़ के उद्योग पर पड़ा है क्योंकि किसानों ने एमआई औद्योगिक क्षेत्र के सामने ही पड़ाव डाला है, जिससे एक वाहन भी औद्योगिक क्षेत्र से नहीं निकल सकता है।
इस तरह ट्रांसपोर्ट बंद होने से कच्चा माल न फैक्ट्री में पहुंच रहा है और सामान तैयार होकर वहां से सप्लाई भी नहीं हो रहा है। अब व्यापारियों ने सामान समय पर नहीं मिलने के कारण ऑर्डर निरस्त करने शुरू कर दिए हैं। पैकिंग का गत्ता ही नहीं अन्य ऐसा काफी सामान है जिसकी सप्लाई समय पर नहीं होने से अन्य सामान का उत्पादन रुक जाता है। औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री मालिकों ने महिला मजदूरों को सुरक्षा की दृष्टि से बुलाना बंद कर दिया है, लेकिन पुरुष मजदूरों को लगातार मजबूरी में बुलाया जा रहा है, जिससे उनके परिवार पर कोई असर नहीं पड़े और उनको खाना मिलता रहे।
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