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बादली ढासा बाॅर्डर पर धरने के 77वें दिन धरने पर पहुंचे किसानों ने सरदार अजीत सिंह को श्रद्धांजलि अप्रित की। धरने पर वक्ताओं ने किसान आंदोलन को मजबूत करने और धरना स्थलों पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचने का आह्वान किया गया। धरने की अध्यक्षता विनोद गुलिया तीसाा गुलिया खाप प्रधाने ने की।
धरने को संबोधित करते हुए विनोद गुलिया, सतबीर एडवोकेट दरियापुर, दीपक धनखड़ कासनी व अन्य वक्ताओं ने सरदार अजीत सिंह के जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि 1906 में ब्रिटिश सरकार ने तीन कानून बनाए। उन तीनों कानूनों का भी संबंध खेती और किसान से ही था। पहले दो अधिनियम काश्तकार किसानों को उस भूमि की मलकीयत से नकारने के लिए लाए गए थे, जिन्होंने उन जमीनों को आबाद किया था। नए कानून के अनुसार वे उस पर ना घर बना सकते थे और न ही पेड़ काट सकते थे। तीसरा कानून पानी के रेट बढ़ाने को लेकर था। तीनों कानूनों के खिलाफ पगड़ी संभाल आंदोलन का बिगुल बजाने वाले शहीद भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह रहें।
सरदार अजीत सिंह का जन्म 23 फरवरी 1881 को हुआ था। हाल में चल रहे अभूतपूर्व किसान आंदोलन के मद्देनजर उन्हें याद करना कितना प्रासंगिक है।
धरने पर महम चाैबीसी के पूर्व विधायक बाली पहलवान, विल्लु प्रधान, युद्ववीर धनखड़, सरजीत गुलिया, मास्टर मनराज, सोमबीर बोकल गुलिया, सोमबीर बुपनियां व अन्य किसानों ने भी ने भी सरदार अजीत सिंह को श्रद्धांजलि दी। धरने पर वीरेन्द्र डागर, जय प्रकाश बेनीवाल, युद्धबीर धनखड़, बिल्लू कादयान, वेदपाल मौजूद रहें और धरने को सम्बोधित किया।
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