ढासा बॉर्डर के धरने पर नित्य प्रति की भांति किसानों का पहुंचना, धरना स्थल पर सरकार के रवैया के प्रति अपना रोष जाहिर करना लगातार जारी है। रविवार को धरने पर भीड़ में बढ़ोतरी भी देखने को मिली। धरने को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि किसान 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस मनाएंगे।
भाजपा सरकार ने क्योंकि इसी दिन पिछले वर्ष काेराेना कॉल का फायदा उठाते हुए तीन कृषि कानून विधेयक को पास किया था। धरने पर हिम्मल पहलवान, कपूर सिंह कुकडोला, शैलेश ठेकेदार मुंडाखेड़ा, मास्टर मनराज गुलिया लाडपुर, सोमवीर बोकल गुलिया बादली, सुमन लोहचाब बुपनिया, विरेंद्र डागर व अन्य वक्ताओं ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के निर्णय के अनुसार किसान 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस मनाएंगे।
इस दिन भाजपा सांसदों विधायकों व जनप्रतिनिधियों के कार्यालय के सामने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी। वक्ताओं ने कहा कि पिछले साल 5 जून को करोना काल के बीच बीजेपी की केंद्र सरकार ने कृषि कानून बनाने के लिए विधेयक पास किया था, इसलिए 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस मनाने का फैसला संयुक्त किसान मोर्चा ने लिया है। धरने पर पहुंचने वाले किसानों और वक्ताओं ने सरकार की अनदेखी को लेकर विरोध जाहिर किया और कहा कि बीजेपी की सरकार चाहे वह केंद्र की हो या प्रदेश की हर मोर्चे पर पूर्ण रूप से विफल रही है। सरकार न युवाओं को रोजगार दे पाई। किसानों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करके नहीं दे पाई। स्वास्थ्य सेवाओं का जो हाल रहा वह इस करोना काल में सभी ने देखा है। व्यापारियों का बुरा हाल है।
महंगाई अपने चरम पर है। गरीब आदमी दाने-दाने को मोहताज होता जा रहा है। सरकार को किसी भी वर्ग की कोई भी चिंता नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि अभी भी समय है सरकार को सुध ले लेनी चाहिए। जनहित के कार्यों में रूचि लेते हुए जनहित के फैसले लेने चाहिए। किसानों के साथ बातचीत के दरवाजे खोलने चाहिए। तीनों कृषि कानून रद्द कर देने चाहिए।
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