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ईंट बनाने के प्रोसेस में आने वाले काम आने वाले नमक के पानी भरे गड्ढे में एक 18 महीने की बच्ची खेलते खेलते डूब गई। 20 मिनट बाद जब उसकी सुध ली गई तब परिजन मरणासन्न हालत में उसे गिरावड़ के वर्ल्ड मेडिकल कॉलेज में ले आए यहां डॉक्टर ने उसकी जान बचा ली। बताया गया कि गिरावड़ के प्रधान ईंट भट्टे में कार्यरत यूपी निवासी राजकुमार की 18 महीने की बेटी कोमल खेलते खेलते नमक के पानी से भरे गड्ढे में चली गई और किसी का भी ध्यान नहीं गया। 15 से 20 मिनट तक बच्ची पानी में ही हाथ पैर चलाती रही परिजनों ने जब उसकी सुध ली तो वह बेसुध हो चुकी थी।
तभी भट्टे के मालिक और मजदूर इस बच्ची को वर्ल्ड मेडिकल कॉलेज में लाए यहां इलाज के दौरान डॉ. बृजेश ठाकरान ने बताया कि पानी में काफी देर तक डूबे रहने तक उसके पेट और फेफड़ों में पानी चला गया था और सांस भी रुक रुक कर चल रही थी अगर जरा भी आने में लेट कर देते तो बच्ची की जान भी जा सकती थी। इलाज के दौरान 18 महीने की बच्ची के फेफड़े व पेट से पानी निकाला गया। इससे पहले बच्ची की आंखें बंद हो रही थी, इलाज के बाद आंखें सामान्य हो गई तो परिवार ने राहत की सांस ली। बच्ची को बाद में रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया गया है।
एबीसीडी टेक्निक से बचाई जान
डॉ. बृजेश ठाकरान ने बताया कि 18 माह की बच्ची अगर 10 मिनट भी लेट हो जाती तो उसकी जान चली जाती। बच्ची की जान बचाने के लिए तुरंत ही एबीसीडी टेक्निक अपनाई गईं। सबसे पहले बच्ची का एयरवे क्लियर किया गया। यानी सांस में रुकावट में आने वाली चीजों को हटाया गया। साथ ही ब्रीडिंग टेक्निक में ऑक्सीजन दी गई। इसी तरह तीसरे नंबर पर सर्कुलेशन को बनाए रखने के लिए एनएस और ग्लूकोस दिया और डी टेक्निक के तहत दवा दी गई।
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