कोरोना की दूसरी लहर में हर तरफ हाहाकार और मौत के मंजर के बीच डॉक्टर बिना थके, बिना रुके काम कर रहे हैं, ताकि जिंदगियां बचाई जा सकें। मरीजों की जान बचाने की कोशिश में झज्जर के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआई) के डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ ने पीपीई किट, ग्लव्स और मास्क आदि लगाने से अपने शरीर पर छाले, जख्म और त्वचा संबंधी कई बीमारियां झेली।
पीपीई किट और डबल मास्क से चेहरे पर खून उभर आया। यही नहीं, पानी से भी जब चेहरा धोते, तो असहनीय दर्द होता था। सर्जिकल ग्लव्स पहनने से दोनों हाथों में स्किन की समस्या हो गई। कानों के पिछले हिस्से में गंभीर घाव तक बन गए। चेहरे पर फुंसियां निकल आईं। लेकिन, मरीजों की सेवा में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ जुटा रहा।
फिलहाल एक्टिव केस 142 हैं, इनमें ब्लैक फंगस के 60 मरीज
झज्जर के बाढ़सा स्थित एनसीआई में पिछली लहर में 6 हजार कोरोना मरीजों का इलाज हुआ। दूसरी लहर में 8294 कोविड मरीज अब तक आ चुके हैं। इनमें फिलहाल एक्टिव केस 142 हैं। इनमें ब्लैक फंगस के 60 मरीज हैं। कुल 302 मरीजों की माैत हो चुकी है, जबकि बाकी मरीज कोरोना को हरा कर घर जा चुके हैं।
स्टाफ के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता
पीपीई किट पहनकर सांस लेने की परेशानी झेलने वाले नर्सिंग स्टाफ के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। खासकर उस स्टाफ का जिनकी नियुक्ति ही कोरोना में हुई थी। इन्होंने सप्ताह में 6 दिन काम करके कोविड मरीजों की सेवा की।
-अरविंद चौधरी, इंचार्ज, एनसीआई नर्सिंग ऑफिसर यूनियन
कोरोना मरीजों की सेवा कर मिसाल पेश की
700 स्टाफ ने पूरी मेहनत से मरीजों की सेवा कर मिसाल पेश की। पीपीई किट में ड्यूटी देने से उनके शरीर को खुद भी कष्ट हुआ, लेकिन जंग में घायल होने के बावजूद दुश्मन को मारने जैसा काम किया।
-डॉ. एंजेलो राजन सिंह, प्रोजेक्ट ऑफिसर, एनसीआई झज्जर
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.