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जिलेभर में किसानों के चेहरे खिल गए हैं। खिले भी क्यों ना, पिछले 24 घंटों के दौरान जिले में औसतन रूप से 37 एमएम बारिश जो हुई है। खास बात यह है कि बारिश ना केवल अच्छी और समय पर हुई है बल्कि जिलेभर में हुई है। इसमें भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जिले के सबसे ड्राई जोन नांगल चौधरी में सबसे अधिक 54 एमएम बारिश रिकार्ड की गई है। हालांकि कुछ जगह ओले गिरने से नुकसान भी हुआ है।
बारिश ही बारिश नहीं, अब आने वाले दिनों में मौसम भी फसलों के अनुकूल रहने की संभावना है। मौसम विभाग का कहना है कि 6 जनवरी से मौसम आमतौर पर खुश्क रहेगा, किंतु वातावरण में नमी की अधिकता के कारण कोहरा बनेगा तथा भारी मात्रा में ओस गिरेगी, जो बारिश से भी ज्यादा लाभदायक सिद्ध होगी।
इसके साथ 7 जनवरी से फिर ठंड का दौर शुरू होगा, जोकि रबी फसलों के लिए बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि रबी की फसल ठंड की ही फसल कही जाती है। बारिश, कोहरा, ओस, ठंड ये सब परिस्थितियां ही इस फसल की जान हैं। इस बेहतर शुरुआती दौर का परिणाम बंपर पैदावार के रूप में मिलेगा।
कृषि विभाग के अनुसार जिले में रबी फसलों का रकबा 1.42 लाख हेक्टेयर है। इसमें सबसे अधिक 85 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की फसल है। जिले के किसानों के लिए यही मुख्य नगदी फसल है। सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी डॉ हरपाल का कहना है सरसों की फसल फिलहाल फ्लॉवरिंग स्टेज में है। बारिश से फलियां अधिक बनेंगी तथा दाना वजनदार होगा। बारानी क्षेत्रों में तो बारिश से सरसों को जीवनदान ही मिल गया है। सरसों के बाद सबसे ज्यादा रकबा 41 हजार 780 हेक्टेयर गेहूं का है।
जौ 450 हेक्टेयर में है। गेहूं व जौ फिलहाल टिलरिंग यानि फुटाव स्टेज में है। बारिश से इसमें गुणात्मक बढ़ोतरी होगी। चना 9 हजार 500 हेक्टेयर में बोया गया है। बारिश से चने में फुटाव तथा वृद्धि अच्छी होगी व उखेड़ा रोग की संभावना नहीं रहेगी। बारिश नहीं होने की स्थिति में जिले में चने की फसल उखेड़ा रोग की वजह से करीब शत-प्रतिशत नष्ट ही हो जाती है।
फसलों का रकबा
फसल रकबा
सरसों 85 हजार हेक्टेयर
गेहूं 41.78 हजार हेक्टेयर
जौ 450 हेक्टेयर
चना 9.50 हजार हेक्टेयर
बाग सब्जी 6 हजार हेक्टेयर
हरा चारा 2 हजार हेक्टेयर
कहां कितनी बारिश
केंद्र बारिश
नारनौल 42 एमएम अटेली 30 एमएम नांगल चौधरी 54 एमएम महेंद्रगढ़ 30 एमएम कनीना 29 एमएम
बारिश नहीं, यह फसलों के लिए सोना बरसा है। सही समय पर अच्छी बारिश हुई है। सभी फसलों को गुणात्मक लाभ होगा। हालांकि अभी लंबा समय बाकी है, फिर भी बारिश से अच्छी पैदावार के आसार बन गए हैं।
-डॉ. जसविंद्र सैनी, उपनिदेशक कृषि, नारनौल।
सब्जियों और बागों में रिकवरी की बनी अधिक संभावना
सरसों चने जैसी कम पानी वाली फसलों के साथ साथ जिले में सब्जी व बागवानी भी काफी की जाने लगी है। सब्जियों व बागवानी का रकबा 6 हजार हेक्टेयर है। पिछले सप्ताह पांच दिन तक लगातार गिरे पाले की वजह से सब्जियों तथा बागों को काफी नुकसान हुआ है। बारिश से नुकसान की रिकवरी की भी संभावना बन गई है।
हालांकि बारिश से शत प्रतिशत नुकसान की भरपाई तो नहीं हो सकती, फिर भी काफी रिकवरी की उम्मीद की जा रही है। सब्जियों व बागवानी के साथ साथ 2 हजार हेक्टेयर में बोए गए पशु चारे में बारिश से गुणात्मक वृद्धि होगी तथा वजन बढ़ेगा।
अब पड़ेगी धुंध व ठंड
मौसम विभाग का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव कम हो गया है। अब धुंध व ठंड का दौर शुरू होगा। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि मौसम विज्ञान विभाग अध्यक्ष डॉ एमएल खीचड़ का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव समाप्त हो रहा है। बुधवार से मौसम आमतौर पर खुश्क किंतु नमी की अधिकता के कारण कोहरा बनेगा। कोहरे की सघनता अत्यधिक रहने की संभावना है। गुरुवार से ठंडक भी फिर से बढऩे की संभावना है।
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