जल संकट:भाखड़ा और यमुना का जलस्तर घटा, गर्मी से पहले ही जीटी रोड बेल्ट व दक्षिणी हरियाणा में गहराया जल संकट

नारनौल2 वर्ष पहले
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मणिकर्ण में स्थित पार्वती नदी में बहता नाममात्र पानी। - Dainik Bhaskar
मणिकर्ण में स्थित पार्वती नदी में बहता नाममात्र पानी।

जनवरी के प्रथम सप्ताह में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से पहाड़ी तथा उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों में अच्छी बारिश हुई थी, मगर उसके बाद से ना तो पहाड़ी और ना ही मैदानी क्षेत्र में बारिश हुई। हालांकि इस दौरान दो पश्चिमी विक्षोभ भी आए, पर वे कमजोर रहे।

फिलहाल आलम ये है कि पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश नहीं होने तथा बर्फ कम पिघलने से भाखड़ा में 40 फुट तथा यमुना में 2 से ढाई हजार क्यूसिक पानी कम हो गया है। इसके चलते सिंचाई विभाग को नहरी सिस्टम खासकर यमुना वाटर सर्विसेज सिस्टम को चलाए रखना मुश्किल हो रहा है, जबकि विभाग द्वारा नहरों के 4 की बजाए 5 ग्रुप भी बना दिए गए हैं, फिर भी पानी की पर्याप्त पूर्ति संभव नहीं हो पा रही है।

खुबड़ू हेड पर 2550 क्यूसिक की डिमांड की तुलना में 1300 से 1400 क्यूसिक पानी ही मिल रहा है। जो इस सिस्टम की टेल जो कि नारनौल डिविजन में है, तक मात्र 300 क्यूसिक ही पहुंच रहा है। इसके चलते महेंद्रगढ़ सहित रेवाड़ी, भिवानी व चरखी दादरी जिले के जलघरों के टैंक भरने के लिए भी एक-एक नहर को चलाना पड़ रहा है।

कनाल सिस्टम को चलाना हो रहा मुश्किल, नहरों के 4 की बजाए 5 ग्रुप बनाने व रोटेशन बढ़ाने पर भी नहीं सुलझी समस्या

मंगलवार शाम को नहरों में उपलब्ध पानी

स्रोत - डिमांड - उपलब्धता खुबड़ू हेड - 2550 - 1367 लोहारू फीडर - 818- 200 महेंद्रगढ कैनाल - 874 - 300 जेएलएन कैनाल - 510 - 150 एसएलसी - 120 - 300

आगे क्या; गर्मी में रहेगी पानी की किल्लत

वर्तमान में नदियों में पानी की कमी का असर आने वाले गर्मी के सीजन में और अधिक दिखाई देगा। सिंचाई विभाग के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जब वर्तमान डैम फिलिंग टाइम में ही पानी की इतनी कमी है तो गर्मी के सीजन में यह क्राइसिस और बढ़ जाएगा। उन दिनों में पानी की डिमांड दो गुणी हो जाती है। ऐसे में अगर बारिश नहीं हुई तो गर्मियों में पेयजल संकट गहराने की प्रबल संभावना है।

समस्या समझिए... 28 दिन बाद छोड़ा पानी, फिर भी नहीं हो रही पूर्ति

पिछली टर्न के अनुसार जेएलएन ग्रुप की नहरों में 22 जनवरी को पानी बंद हुआ था। रोटेशन के मुताबिक 16 दिन बाद 7 फरवरी को पानी आ जाना था, लेकिन पानी की कमी के कारण सिंचाई विभाग को आपूर्ति बनाए रखने के लिए 4 की बजाए 5 ग्रुप बनाने पड़े। 5 ग्रुप बनने से पानी की रोटेशन भी 16 की बजाए 24 दिन की करनी पड़ी। इसके मुताबिक भी 15-16 को पानी छोड़ा जाना चाहिए था, लेकिन इसके भी 3-4 दिन बाद 19-20 फरवरी को पानी छोड़ा गया है। उसके बावजूद भी पूर्ति नहीं हो पा रही है।

जल्द दूर करेंगे ये समस्या

भाखड़ा में 40 फुट तो यमुना में ढाई से तीन हजार क्यूसिक पानी कम है। इसकी वजह से डब्ल्यूजेसी सिस्टम को चलाने में दिक्कत आ रही है। जल्द ही यह समस्या दूर होने की उम्मीद है।
-जगपाल सिंह, कार्यकारी अभियंता, रेगुलेशन, लिफ्ट कैनाल यूनिट, पंचकूला।

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