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दिव्यांग बच्चे भी समाज की मुख्य धारा में जुड़े, इसके लिए तरह-तरह के प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। इसी को लेकर हरियाणा समग्र शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से अब दिव्यांग बच्चों को आत्म निर्भर बनाने के लिए उनको खराब सामान से विभिन्न वस्तुओं के बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। परिषद ने उत्तरप्रदेश के कन्नोज के एक संगठन के साथ मिलकर यह योजना तैयार की है।
जिसमें रेवाड़ी जिले में 6 जिलों के कक्षा 9 से 12वीं में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों को कार्यशाला लगाकर प्रशिक्षित किया जाएगा। 10 दिन की यह कार्यशाला 19 फरवरी से शुरू होकर 28 फरवरी तक चलेगी। इसके लिए परिषद की ओर से 6 लाख 63 हजार रुपए का बजट भी जारी किया गया है। साथ ही जिला समग्र शिक्षा अभियान के कॉर्डिनेटर को भी व्यवस्था के लिए पत्र जारी कर दिया है।
इन जिलों के बच्चे आएंगे
बावल रोड स्थित वृंदा स्थल पर आयोजित होने वाली इस कार्यशाला में रेवाड़ी जिले से कक्षा 9 से 12वीं में 17, फरीदाबाद से 21, गुरुग्राम से 26, पलवल से 15, नूंह से 17 व महेंद्रगढ़ से 18 बच्चे भाग लेंगे। इनके साथ हर जिले से एक-एक स्पेशल ट्रेनर भी आएंगे। एपीसी वीरेंद्र सिंह ने बताया कि इसमें बच्चों के दो ग्रुप बनाए जाएंगे। दोनों ही ग्रुप को एक ही कैंपस में यह कार्यशाला लगाकर प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस बार कोरोना गाइडलाइन का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा।
स्पेशल ट्रेनर बताएंगे बेकार वस्तुओं से सामान बनाने के तरीके और उपयोग
डीपीसी राजेंद्र सिंह ने बताया कि इस कार्यशाला में स्पेशल ट्रेनर दिव्यांग बच्चों को प्रायाेगिक तरीके से धूपबत्ती, अगरबत्ती, हवन सामग्री, गुलाब जल से लेकर चेहरे पर लगाने वाली फेस पैक भी बनाने की विधियां बताएंगे। कार्यशाला के लिए जगह चयनित कर ली गई है, जहां दूसरे जिले से आने वाले बच्चों को ठहराया भी जा सके। इस कार्यशाला लगाने के पीछे विभाग का उद्देश्य है कि दिव्यांग बच्चे खुद के पैरों पर खड़ा हो सके और दूसरे पर निर्भर नहीं रहे।
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