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प्रशासन की तरफ से जिला परिषद को मिली 1.33 करोड़ की ग्रांट के वितरण पर लगाई रोक के बाद गुरुवार को जिला पार्षदों ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पार्षदों ने चुनाव होने तक उन्हें विकास कार्य कराने का अधिकार पंचायतीराज संस्थाओं को दिए जाने की मांग की।
जिला प्रमुख मंजूबाला की अगुवाई में पार्षद कांता देवी, आजाद नांधा, अमित यादव सहित अन्य ने बताया कि पंचायतीराज संस्थाओं का कार्यकाल 23 फरवरी को समाप्त हो जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान स्थितियों को देखते हुए अभी 6 माह तक भी चुनाव के आसार नहीं है, इसका असर ग्रामीण विकास पर पड़ना तय है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल में कोरोना की वजह से पंचायतीराज संस्थाओं को कोई फंड नहीं मिला था और अब मिलने लगा तो कार्यकाल समाप्त हो गया है। ऐसे में लगभग दो साल से जो विकास कार्य लंबित पड़े उनके लिए और अधिक इंतजार करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि झारखंड में चुनाव में देरी के मद्देनजर वहां की सरकार ने पंचायतों के माध्यम से ही विकास कार्य कराने का अधिकार दिया हुआ है। उसी तर्ज पर यहां भी पंचायतीराज संस्थाओं से विकास कार्य कराया जाए।
यूं फंसा पेंच...
सुबह हुई मीटिंग, शाम को ग्रांट रोकी : दरसल में यह पूरा मामला 1.33 करोड़ रुपए की ग्रांट से जुड़ा हुआ है। जिला परिषद को 15 वे वित्त आयोग के तहत यह ग्रांट मिली थी। इस पर 16 फरवरी को जिला प्रमुख ने तत्काल मीटिंग बुलाकर ग्रांट आवंटन का अधिकार पार्षदों की सहमति से ले लिया था।
वहीं सरकार की तरफ से इससे पहले ही पत्र जारी करके संस्थाओं के खातों में आई हुई ग्रांट को निकालने पर रोक का आदेश दिया हुआ था। इसके चलते प्रशासन ने उसी दिन शाम को पत्र जारी करके यह ग्रांट रोक दी थी।
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