ऐलनाबाद उपचुनाव- लखीमपुर हिंसा के चलते कांग्रेस का टिकट लेट:पवन बेनीवाल रेस में आगे, जाट-नॉन जाट उम्मीदवारों के बीच जातिगत समीकरण साधना पार्टी के लिए चुनौती

रेवाड़ी2 वर्ष पहले
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हरियाणा की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी का ऐलान वीरवार यानि 7 अक्टूबर को हो सकता है। दिल्ली में उम्मीदवार को लेकर माथापच्ची चल रही है। कांग्रेस में टिकट के लिए चाचा-भतीजा यानि भरत बेनीवाल और पवन बेनीवाल सबसे आगे हैं। लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद यूपी में सियासी माहौल गर्मा जाने के चलते कांग्रेस का पूरा फोकस वहीं है इसलिए टिकट के ऐलान में समय लग रहा है।

कांग्रेस के लिए यहां जातिगत समीकरण साधना चुनौती रहेगी। उपचुनाव के लिए इनेलो से अभय चौटाला और भाजपा से गोबिंद कांडा के टिकट का ऐलान हो चुका है। इनमें से अभय चौटाला जाट समुदाय से हैं और गोविंद कांडा नॉन जाट समुदाय से। ऐसे में देखना है कि कांग्रेस भी जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कैंडीडेट पर दांव खेलती है या नहीं।

ऐलनाबाद के इनेलो विधायक अभय चौटाला द्वारा नए खेती कानूनों के विरोध में और किसानों के समर्थन में विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिए जाने के चलते इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। चुनाव आयोग की ओर से घोषित प्रोग्राम के अनुसार, उपचुनाव के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख 8 अक्टूबर है। मतदान 30 अक्टूबर को और वोटों की गिनती 2 नवंबर को होगी।

कांग्रेस में चाचा-भतीजे आमने-सामने
कांग्रेस में टिकट के लिए माथापच्ची जारी है। कुछ ही समय पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए पवन बेनीवाल वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में ऐलनाबाद सीट पर इनेलो प्रत्याशी अभय चौटाला के सामने उतर चुके हैं। तब पवन बेनीवाल दूसरे नंबर पर हे थे। उधर पवन के चाचा भरत बेनीवाल पहले से कांग्रेस में हैं और टिकट के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं। इन दोनों के अलावा कांग्रेस टिकट के लिए 4 और नाम भी रेस में हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पवन बेनीवाल पर दांव लगा सकती है क्योंकि इलाके में उनकी खुद की अच्छी पैठ है।

गोविंद को भाई की लॉबिंग और जातिगण समीकरणों ने दिलाई टिकट
भाजपा ने 4 दिन पहले ही पार्टी ज्वाइन करने वाले गोविंद कांडा को टिकट दिया है। गोविंद कांडा को टिकट दिलाने में उनके भाई की लॉबिंग और जातिगत समीकरणों ने अहम रोल निभाया। गोबिंद कांडा के बड़े भाई गोपाल कांडा सिरसा से अपनी पार्टी, हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के इकलौते विधायक हैं और भाजपा-जजपा सरकार को समर्थन दे रहे हैं। इनेलो ने यहां अभय चौटाला के रूप में जाट कैंडीडेट उतारा है। कांग्रेस से भी पवन बेनीवाल का नाम सबसे ऊपर है जो इसी समुदाय से आते हैं। ऐसे में भाजपा ने नॉन जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गोविंद कांडा को टिकट देकर नॉन जाट वोटरों को लुभाने का दांव चला है।

मीनू पर भारी पड़े आखिरी समय में आए कांडा
भाजपा में हफ्तेभर पहले तक टिकट के लिए मीनू बेनीवाल का नाम तय था। इसे लेकर पंचकूला में मीटिंग भी हो चुकी थी मगर आखिरी समय पर गोविंद कांडा की पार्टी में एंट्री हो गई और मीनू का नाम कट गया। मीनू बेनीवाल तरंकावाली गांव के रहने वाले हैं और जजपा प्रमुख अजय चौटाला के करीबी हैं। जजपा भी अंदरखाते चाहती थी कि मीनू को टिकट मिल जाए मगर ऐसा हो नहीं पाया।

भाजपा-जजपा के लिए उपचुनाव जीतना चुनौती

ऐलनाबाद उपचुनाव भाजपा-जजपा गठबंधन के लिए चुनौती से कम नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए 3 खेती कानूनों के विरोध में किसान सालभर से आंदोलन कर रहे हैं और हरियाणा में सिरसा जिला किसानों का गढ़ है। पंजाब और राजस्थान से सटी ऐलनाबाद सीट पर सत्तारूढ़ गठबंधन को प्रचार में भी मुश्किल आ सकती है। किसानों के आंदोलन के चलते भाजपा और जजपा के नेता कई महीनों से गांवों में घुस नहीं पा रहे।

त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
ऐलनाबाद उपचुनाव में इस बार मुकाबला इनेलो, भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच रहने की उम्मीद है। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस इस बार मुकाबले में नजर आ रही है। यहां टिकट पाने के लिए सबसे ज्यादा मारामारी भाजपा में रही, जहां 17 लोगों ने दावेदारी जताई। हालांकि आखिरी समय में आए गोविंद कांडा सब पर भारी पड़े। कांग्रेस में 6 नेताओं ने टिकट मांगा है। चूंकि भाजपा ने उपचुनाव में अपना प्रत्याशी उतारने का ऐलान पहले ही कर दिया इसलिए हरियाणा में उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) में कोई हलचल नहीं है।

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