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दिल्ली हिंसा के बाद से किसान काफी सतर्क हो गए हैं। हरियाणा के किसानों की संख्या भी कुंडली बॉर्डर पर दिल प्रतिदिन बढ़ रही है। अब कुंडली बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान आरोप लगा रहे हैं कि सरकार के मंत्री व सांसद झूठ बोलकर देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं। देश के कृषि मंत्री भी किसानों के साथ हुई 11 दौर की मीटिंग को एजेंडे से भटकाने का आरोप लगा रहे हैं। किसानों व कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बीच अभी की जो मीटिंग हुई हैं, उन्हें भी सार्वजनिक कर देना चाहिए। जिसमें स्पष्ट हो कि किसानों ने क्या मांग रखी और सरकार किसानों को क्या आश्वासन दे रही है।
सरकार व किसानों के बीच हुई वार्ता से अभी तक आम किसान अंजान है। इसलिए वे सरकार से मांग करते हैं कि यदि सरकार के मन में कोई खोट नही है तो जिस प्रकार से राज्यसभा व लोकसभा सदन में सार्वजनिक बहस होती है। उसी प्रकार से किसान व सरकार के बीच खुली बहस होनी चाहिए।
देश की जनता तय कर देगी कि सरकार के तीन कानून सही है या ये तीनों कानून किसान विरोधी हैं। जनता को ही तय करना होगा कि किसान सच्चा हैया फिर सरकार अपनी जगह सही है। उधर, कुंडली बॉर्डर पर लगातार हरियाणा के किसानों की संख्या बढ़ रही है। अब यहां हरियाणा के किसानों ने अपने लंगर लगाने शुरू कर दिए हैं। गांव से बहू- बेटियां लंगर में भोजन पकाने की सेवा के लिए आगे आ रही हैं।
किसान बोले- दुष्यंत को वोट देना सबसे बड़ी भूल
जींद के उचाना हलका के गांव अलेवा से काफी संख्या में किसान एक दिसंबर से ही कुंडली बॉर्डर पर धरना दिए बैठे हैं। ब्लॉक समिति के पूर्व चेयरमैन कर्णसिंह चहल, महिपाल सिंह, धर्मसिंह, सतपाल सिंह आदि ने कहा कि उचाना हलका का दुर्भाग्य है कि उन्हें दुष्यंत को वोट देकर विधायक बनाया। चुनाव से पहले नैना चौटाला, दुष्यंत व दिग्विजय चौटाला भाजपा सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते थे। अब वे लोगों को धोखा देकर उसी भाजपा की गोदी में बैठे हुए हैं। जनता ऐसे नेताओं को कभी माफ नही करेगी। उचाना की जनता अब जागरूक हो चुकी है।
सरकार आवाज दबाने की बजाय स्थिति स्पष्ट करे: राज
गुरदाशपुर के किसान राज मान ने कहा कि सरकार किसानों की आवाज दबाने का काम कर रही है। किसानों को खालिस्तानी, देशद्रोही, आंतकवादी बताकर आंदोलन को बदनाम करने का प्रयास कर रही है। सरकार को चाहिए कि किसानों के साथ साफ दिल से बात करें। जब तक सरकार की नियत में खोट होगा, किसानों की सही बात भी उन्हें गलत लगेगी। पंजाव व हरियाणा का किसान 72 दिन से सड़कों पर सोने पर मजबूर है। घर- परिवार से दूर किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है और कृषि मंत्री एक ही झटके में बोल देते हैं कि आखिर कानून काले कैसे हैं।
सरकार से भरोसा उठ रहा है, किसान परेशान है : बिजेंद्र
आंतिल चौबीसी धरने के प्रधान मास्टर बिजेंद्र बड़ौली ने कहा कि किसान का सरकार से भरोसा उठ गया है। सरकार को अपनी जिद्द छोड़कर किसान हित में फैसला लेना चाहिए। आज देश का किसान इन तीन कानूनों की वापसी की मांग कर रहा है। सरकार को जनभावना का आदर रखते हुए तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए। अब यह आंदोलन केवल पंजाब व हरियाणा के किसानों का नही रहा है, यह आंदोलन अब जन आंदोलन बन चुका है। विदेशों में भी देश की साख पर प्रभाव पड़ रहा है।
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