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शहर के विभिन्न मार्ग पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था चौपट है। शहर में करीब सौ से ज्यादा स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी हैं, वहीं साढ़े पांच हजार डार्क स्पॉट ऐसे हैं जहां स्ट्रीट लाइट है ही नहीं। जबकि निदेशालय के निर्देश यह है कि अब राज्य स्तर पर जारी स्टेट टेंडर से ही नई लाइट लगेंगी। शहरवासियों के लिए यह समस्या इसलिए भी गंभीर होने जा रही है क्योंकि स्ट्रीट लाइट मरम्मत का भी टेंडर अगले महीने समाप्त हो जाएगा तथा नए सरकारी टेंडर की प्रक्रिया एक साल से अधर में लटकी है।
नगर निगम में पुरानी लाइटों की जगह एलईडी लाइट लगाने का अभी सर्वे ही हुआ। डीपीआर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसके बाद राज्य स्तर से टेंडर होगा। इसमें न्यूनतम समय 21 दिन का रह सकता है, ऐसे में एजेंसी कम आई तो दोबारा टेंडर होगा और 21 दिन और लगेंगे वहीं टेंडर में ज्यादा आने पर टेंडर ओपन सहित अन्य प्रक्रियाओं को धरातल पर आने में करीब दो माह से ज्यादा का समय लग सकता है।
साढ़े छह हजार स्ट्रीट लाइटों की अब तक हो चुकी है मरम्मत : शहर में स्ट्रीट लाइट किस कदर खराब हो रही है इसका सहज अंदाजा इसी से लग सकता है कि साढ़े छह हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत अब तक हो भी चुकी है। नगर निगम एजेंसी को इसके लिए हर महीने करीब साढ़े सात लाख रुपए देती है, लेकिन अभी सैकड़ों लाइट खराब हैंं जो ठीक नहीं हो सकती हैं।
शहर में यहां है स्ट्रीट लाइट की सबसे अधिक समस्या
शहर में ओल्ड डीसी रोड, नरेन्द्र नगर, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, कामी रोड, बावा तराना रोड, सेक्टर 14, सिक्का कालोनी, दिल्ली रोड, गोहाना रोड, मुरथल रोड, सेक्टर 13, सेक्टर 12, मिशन चौक, कालुपुर रोड पर स्ट्रीट लाइट काफी ज्यादा खराब है।
नई योजना
व्यवस्था में सुधार होने पर बेहतर रोशनी के साथ बिजली बचत भी राज्य सरकार की ओर से टेंडर प्रक्रिया सिरे चढ़ाए जाने की स्थिति में सोनीपत में दुधिया रोशनी तो बेहतर होगी ही, साथ ही सुरक्षा को लेकर भी दिक्कतें कम होगी, वहीं इसका बड़ा लाभ निगम के बजट पर भी पड़ेगा। अभी औसतन 40 लाख रुपए से अधिक का स्ट्रीट लाइट का बिजली बिल निगम भुगत रहा है। एलईडी में बदले जाने पर यह घटकर करीब 20 से 25 लाख रुपए तक पहुंच सकता है।
स्थाई हल के लिए कई बाधाएं : सर्वे में इन समस्याओं का हल अभी नहीं
निगम में करीब 15 हजार पुरानी लाइटें लगी है जबकि पांच हजार नई लाइटें लग चुकी है, एलईडी में बदले जाने के बाद पुरानी लाइटों का क्या होगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है तो वहीं समस्या शहर के उन क्षेत्र में भी होगी जहां की सड़क चौड़ी नहीं है, कौन व्यक्ति अपनी छत पर स्ट्रीट लाइट लगवाएगा। इसके अतिरिक्त स्मार्ट मीटर को लेकर क्या रूख अपनाया जाएगा। ये वे सवाल है जो डीपीआर रिपोर्ट के बाद नगर निगम ने संबंधित एजेंसी से पूछे हैं।
^स्ट्रीट लाइट की समस्या का स्थाई हल तभी होगा जब नया टेंडर अलाट हो जाएगा। निगम की टीम सप्ताह में तीन दिन नियमित रूप से स्ट्रीट लाइट की स्थिति की जांच कर समस्याओं को दूर कर रही है। निजी एजेंसी की ओर से सर्वे के बाद डीपीआर बनाई गई थी। अगली प्रक्रिया टेंडर लगाने की होगी। उम्मीद है कि यह जल्द होगी। रमेश कुमार, एसडीओ, नगर निगम, सोनीपत।
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